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हिंदी: पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक

फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन बड़ी सफलता के साथ संपन्न हो गया। इसका आयोजन फिजी सरकार के सहयोग से किया गया था। तीन दिन तक चले इस सम्मेलन के समापन समारोह में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा संसद के सदस्य और वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुलकर हिंदी और इसके प्रभाव के बारे में बताया।

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विदेश मंत्री ने कहा कि फ़िजी में आयोजित 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में भाग लेकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। 3 दिवसीय इस सम्मेलन में फ़िजी और भारत के सशक्त सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ बनेगा और हिंदी को विश्व भाषा बनाने में लगे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराएगा।

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हिंदी को विश्व बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें। समापन समारोह में फ़िजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी मौजूद थे और उन्होंने सम्मेलन को फ़िजी के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका के नेतृत्व वाली सरकार देश में हिंदी को मज़बूत करने के लिए सभी संभव कदम उठा रही है।

सम्मेलन का मुख्य विषय “हिंदी: पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक” था जिस पर एक पूर्ण सत्र में चर्चा की गई थी। साथ ही गिरमिटिया देशों में हिंदी, फिजी और प्रशांत क्षेत्र में हिन्‍दी, सूचना प्रौद्योगिकी और 21वीं सदी की हिन्‍दी, भारतीय ज्ञान परम्परा का वैश्विक संदर्भ और हिंदी, हिंदी सिनेमा के विविध रूप : वैश्विक परिदृश्‍य जैसे दस अन्य शैक्षणिक सत्र भी आयोजित किए गए थे। सम्मेलन के दौरान हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए भारत से कुल 12 हिंदी विद्वानों और विदेश से 19 विद्वानों के साथ-साथ भारत और विदेश से 2-2 संस्थानों को सम्मान के लिए चुना गया था।

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इनमें से प्रत्येक श्रेणी में दो संस्थानों सहित भारत और विदेश के 13 हिंदी विद्वानों को समापन समारोह के दौरान व्यक्तिगत रूप से सम्मानित किया गया। सम्मेलन के दौरान, आईसीसीआर और फिजियन सरकार द्वारा विशेष सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित किए गए। सम्मेलन के इतर फिजी में गिरमिटियों की कहानी पर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।

समापन समारोह के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया कि दोनों देशों की संस्कृति और परंपरागत विशेषताएँ परस्पर सम्मान और सहयोग का मज़बूत आधार हैं। फ़िजी और भारत के साथ-साथ 31 देशों से आये प्रतिभागियों ने भी इस आयोजन को भव्यता प्रदान की। समापन समारोह में विशिष्ट विद्वानों को सम्मानित भी किया गया। गौरतलब है कि 15 से 17 फ़रवरी तक तीन दिन चले सम्मेलन में तीस से अधिक देशों के लगभग एक हज़ार हिंदी विद्वानों व लेखकों ने भाग लिया था।

रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी

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