लखनऊ। कुलपति आचार्य संजय सिंह (VC Acharya Sanjay Singh) की उपस्थिति में शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक समावेशिता (Education, Research And Social Inclusion) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (DSMNRU) एवं भारतीय शिक्षा शोध संस्थान (BSSS), लखनऊ के मध्य एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह साझेदारी भारत के समावेशी और मूल्यनिष्ठ शिक्षा तंत्र को सशक्त करने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच बहु-आयामी सहयोग को प्रोत्साहन देना है, जिसमें भारतीय संस्कृति, शिक्षा, अनुसंधान, दिव्यांगजनों की भागीदारी, ग्रामीण शिक्षा, और सामाजिक सौहार्द जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
यह समझौता प्रारंभिक रूप से तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगा। आवश्यकता अनुसार आपसी सहमति से इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। यह सहयोगात्मक पहल न केवल उत्तर प्रदेश राज्य के लिए, बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगी। यह साझेदारी भारतीय शिक्षा की समावेशी, सांस्कृतिक और मूल्यनिष्ठ परंपराओं को पुनः जागृत करने और समाज के अंतिम व्यक्ति तक गुणवत्ता युक्त शिक्षा पहुँचाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस महत्वपूर्ण MoU पर डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव रोहित सिंह और भारतीय शिक्षा शोध संस्थान की ओर से सचिव विजय शर्मा ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कहा कि दो संस्थानों के इस प्रकार के बौद्धिक संबद्धता से भारतीय ज्ञान परंपरा के व्यापक प्रसार को बड़ा बल मिलेगा और भारत देश विश्वगुरु के रूप में अपनी एक विशेष पहचान बनाएगा। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष प्रो सुरेन्द्र कुमार द्विवेदी, अधिष्ठाता शैक्षणिक, प्रो विनोद कुमार सिंह, कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो अवनीश चंद्र मिश्र, कुलानुशासक प्रो सीके दीक्षित, विशेष शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता डॉ कौशल शर्मा, विश्वविद्यालय में MoU समिति के समन्वयक एवं दृष्टिबाधिता विभाग के अध्यक्ष डॉ विजय शंकर शर्मा, विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी प्रो यशवंत वीरोदय एवं भारतीय शिक्षा शोध संस्थान से संस्कृत के प्रकांड विद्वान डॉ शिव भूषण त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
समझौते के प्रमुख बिंदु
भारतीय जीवनमूल्य, सांस्कृतिक धरोहर, आदर्श, आध्यात्मिकता तथा समकालीन शैक्षिक चुनौतियों पर आधारित साहित्य के संयुक्त प्रकाशन हेतु प्रयास किए जाएंगे।
देश के विभिन्न हिस्सों से विद्वानों एवं शोधार्थियों को जोड़कर ज्ञान-विनिमय की गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, जिससे शिक्षाविदों का एक सशक्त मंच निर्मित होगा।
भारतीय दर्शन, मनोविज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र तथा पुरातत्व जैसे विषयों पर अध्ययन को बढ़ावा देना इस साझेदारी का एक केंद्रीय उद्देश्य है।
दिव्यांगजनों, अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़े वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए विशेष शैक्षिक कार्यक्रम और हस्तक्षेप योजनाएं संचालित की जाएंगी।
विज्ञान और आध्यात्मिक दर्शन के समन्वय से एक समग्र और संतुलित शिक्षा व्यवस्था को साकार करने की दिशा में संयुक्त शोध कार्य किए जाएंगे।
योग को शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित करते हुए व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से प्रशिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
शिक्षा, पुनर्वास, दिव्यांग अध्ययन, समाजशास्त्र, दर्शन आदि विषयों पर आधारित अत्याधुनिक पुस्तकालय संसाधनों का विकास और साझा उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाने हेतु गहन शोध और परियोजनाएं संचालित की जाएंगी।
छात्रों और युवा वर्ग के लिए शैक्षिक शिविर, नेतृत्व विकास, व्यक्तित्व निर्माण तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देकर एक वैश्विक स्तर पर सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।