साल 2020 में होलीका 9 मार्च को दहन होगी और होली का त्योहार 10 जनवरी को मनाया जाएगा। इन सबसे पहले तीन मार्च, मंगलवार के दिन से होलाष्टक की शुरुआत हो रही है, जो कि 8 दिन तक चलता है। शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक का अर्थ होता है होली से 8 दिन पहले का समय जो की कई बार सात दिन भी मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुल मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, जो होलिका दहन तक रहता है। इस बार तीन मार्च से 9 मार्च तक होलाष्टक मनाया जाएगा। 9 मार्च को होगी जलाए जाने के बाद 10 मार्च को रंग खेला जाएगा होलाष्टक के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता इन दिनों में गृह प्रवेश, भवन निर्माण, हवन, यज्ञ, विवाह, नामकरण, विद्या प्रारंभ आदि कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। दरअसल, होलाष्टक दिनों में ग्रहों का व्यवहार उग्र रहता है।
मान्यता है कि इस समय किए गए सभी कार्यों से हानि की आशंका रहती है। मान्यता यह भी है कि होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। कहा जाता है कि होलाष्टक काल के दौरान ही हिरण्यकश्यप के आदेश पर उसके बेटे प्रहलाद को घोर यातनाएं दी गई थीं। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद हर यातना को हंसते हुए पार कर गया था।
हर यातना सहने के बाद आखिरी में होली कि दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आदेश दिया कि वह अपने साथ प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाए। होलिका के पास एक विशेष वस्त्र था, जिसको ओढ़ लेने पर आग से बचा जा सकता था।
मगर, जैसे ही लकड़ियों में आग लगाई गई, तेज हवा चलने लगी और होलिका का वह कपड़ा प्रहलाद के ऊपर आ गया, जिससे भक्त प्रहलाद की जान बच गई और होलिका उस अग्नि में स्वाहा हो गई। तब से फागुन मास की पूर्णमासी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मानते हुए होली का त्योहार मनाया जाता है।
होलीका दहन के दूसरे दिन बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में रंगों से होली खेली जाती है जो कि इस साल 10 दिसंबर को मनाया जाएगा