लखनऊ। देश भर के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी निम्न मध्यम आयवर्ग के उपभोक्ताओं में ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इस आय वर्ग के लोग कन्ज्यूमर ड्यूरेबल से लेकर अपना खुद का व्यवसाय तक करने के लिए ऋण ले रहे हैं। इसके चलते जहां स्मार्टफोन और घरेलू उपकरणों की खरीद बढ़ी है वहीं व्यवसाय को आगे बढ़ाने व स्टार्ट अप के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है।
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होम क्रेडिट इंडिया (Home Credit India), अग्रणी वैश्विक कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता कंपनी की स्थानीय शाखा ने आज अपने वार्षिक उपभोक्ता अध्ययन हाउ इंडिया बोरोज़ के निष्कर्षों को जारी किया। अध्ययन के मुताबिक लखनऊ जैसे शहरों में 73 फीसदी लोग आनलाइन की जगह खुद शाखाओं में जाकर ऋण लेना पसंद करते हैं।
वहीं लखनऊ में 68 फीसदी लोग खरीददारी के लिए एम्बेडेड फाइनें को अपना रहे हैं। “हाउ इंडिया बोरोज़ 2024” अध्ययन दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, पटना, रांची, चंडीगढ़, लुधियाना, कोच्चि और देहरादून सहित 17 शहरों में आयोजित किया गया था। इसका सैंपल साइज 18-55 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 2500 उधार लेने वालों का था, जिनकी औसत आय प्रति माह ₹31,000 थी।
होम क्रेडिट इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी आशीष तिवारी ने छठे उपभोक्ता अध्ययन पर बोलते हुए कहा, हमारा नवीनतम हाउ इंडिया बोरोज़ 2024 अध्ययन निम्न-मध्यम वर्ग के ऋण लेने वालों के बीच ऋण लेने के व्यवहार में एक परिवर्तनकारी बदलाव को उजागर करता है।
यह उपभोक्ताओं के कन्ज्यूमर ड्यूरेबल और छोटे व्यवसायिक उपक्रमों के लिए ऋण लेने के प्रति बढ़ती प्राथमिकता और ग्राहक सेवा के लिए ऐप-आधारित बैंकिंग, चैटबॉट, व्हाट्सएप भुगतान और डिजिटल साक्षरता के साथ उपभोक्ताओं की बढ़ती सहजता को दर्शाता है, जो न केवल ऋण लेने वालों की जीवनशैली और आय के अवसरों को बढ़ाने की बदलती वित्तीय आकांक्षाओं को दर्शाता है, बल्कि क्रेडिट को और अधिक सुलभ बनाने में डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है। अध्ययन एम्बेडेड फाइनेंस और ईएमआई-आधारित वित्तपोषण के प्रति मजबूत आकर्षण और डेटा गोपनीयता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व को भी इंगित करता है।
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अध्ययन ने उपभोक्ता ऋणों में प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। कन्ज्यूमर ड्यूरेबल के लिए ऋण में तेजी आई, जिसमें 2020 में 1% से 2024 में 37% तक स्मार्टफोन और घरेलू उपकरणों की खरीद में वृद्धि हुई, जो नई तकनीक और कन्ज्यूमर ड्यूरेबल लेने के लिए ऋण लेने में निरंतर वृद्धि का संकेत है। व्यवसाय विस्तार और स्टार्ट-अप के लिए ऋण 2020 में 5% से बढ़कर 2024 में 21% हो गया, जिससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला।
अध्ययन बताता है कि ऐप-आधारित बैंकिंग अब प्रमुख हो गई है, जिसमें 2024 में 65% ने इसे ब्राउज़र-आधारित बैंकिंग (44%) के मुकाबले पसंद किया है। 2024 में ऑनलाइन खरीदारी का उपयोग 2023 में 48% से बढ़कर 53% हो गया। महिलाएं (60%), मिलेनियल्स (59%), जेन जेड (58%), मेट्रो और टियर 2 शहर (प्रत्येक 56%) इस प्रवृत्ति को चला रहे हैं। कोलकाता (71%), कोच्चि (66%), हैदराबाद (64%), चेन्नई (60%), और रांची (59%) ऑनलाइन खरीदारों के मामले में शीर्ष पांच शहर हैं।
ग्राहकों के एम्बेडेड फाइनेंस के प्रति दृष्टिकोण में एक छोटा सा बदलाव आया है, जिसमें 43% ग्राहक इन सेवाओं में रुचि व्यक्त कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 64% ने प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट, मीशो) को प्राथमिकता दी, इसके बाद 21% ने यात्रा ऐप (जैसे मेकमायट्रिप, क्लियरट्रिप) को चुना, और 23% ने फूड डिलीवरी ऐप (जैसे ज़ोमैटो, स्विगी) का उपयोग किया। एम्बेडेड फाइनेंस में रुचि जेन जेड (55%) और पुरुषों (45%) में विशेष रूप से अधिक है। इसके अतिरिक्त, टियर 1 शहरों में, विशेष रूप से शहरी केंद्रों में, जैसे लखनऊ (68%), पटना (53%), अहमदाबाद (52%), भोपाल (52%), और रांची (52%), एम्बेडेड फाइनेंस के प्रति अधिक प्रवृत्ति दिखाई गई।
भारत में निम्न-मध्यम वर्ग के ऋण लेने वालों के बीच ईएमआई कार्ड सबसे लोकप्रिय क्रेडिट उपकरण बने हुए हैं, अध्ययन में ऋण प्राप्ति पैटर्न में एक बढ़ते बदलाव को देखा गया, जिसमें 48% ऋण लेने वालों ने शाखाओं का भौतिक दौरा करने का विकल्प चुना, जो आमने-सामने बातचीत की स्थायी पसंद को रेखांकित करता है। 30% ण लेने वालों ने ऑनलाइन आवेदन पूरा करने का विकल्प चुना, जो प्रौद्योगिकी और सुविधा में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है, और 22% ऋण लेने वाले ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों पर निर्भर हैं, जो मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
कोच्चि (85%), लखनऊ (73%), और रांची (69%) जैसे टियर 1 और टियर 2 शहरों में, ऋण लेने वाले खुद से शाखाओं में जाने को पसंद करते हैं, जो दर्शाता है कि लोग व्यक्तिगत संपर्क और विश्वास को महत्व देते हैं। बेंगलुरु (64%), हैदराबाद (53%), और चेन्नई (48%) जैसे महानगरीय शहरों में ऋण लेने वाले तेजी से ऑनलाइन चैनलों की ओर झुक रहे हैं।