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उन्नाव बलात्कार : जानिये आखिर कैसे पुरुषोत्तम की तरह अपने ही जाल में फंसा कुलदीप सेंगर

3 दिसंबर 2010 को बांदा में हुए बहुचर्चित बलात्कार प्रकरण से उन्नाव बलात्कार की कहानी मेल खाती है. उस समय बीएसपी के विधायक रहे पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी पर एक किशोरी ने बलात्कार का आरोप लगाया था. इस मुद्दे में पुरुषोत्तम के बेटे मयंक द्विवेदी की तहरीर पर पीड़िता के विरूद्ध ही रिपोर्ट दर्ज कर उसे कारागार भिजवा दिया गया था. मांखी काण्ड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगा. इस मुद्दे में पीड़िता के पिता पर रिपोर्ट दर्ज करवाकर कारागार भिजवाने से मुद्दा बिगड़ गया.

पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के बेटे ने पीड़िता पर आरोप लगाया था कि वह घर से चोरी करके गई है. मुद्दा खुला तो कुछ व ही था. पीड़िता ने पूरी ताकत के साथ अपना पक्ष रखा. आरोप लगाया कि लोकल पुलिस की ओर से इस प्रकरण में पीड़ित परिवार की मदद नहीं की गई. इस प्रकरण में सीबीसीआईडी व उसके बाद CBI जाँच बैठी थी. CBI ने मुद्दे में चार्जशीट दाखिल की. पीड़िता के आरोप को ठीक बताया था. आरोपित विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी को CBI की न्यायालय से 10 वर्ष की सजा हुई. बीएसपी सरकार ने विधायक को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

छिपकर जा रहा था पिता, अतुल सेंगर ने घेरकर पीटा
पीड़िता का पिता 03 अप्रैल 2018 को तारीख से लौट रहा था. वह शाम होने का इंतजार कर रहा था. उसे भय था कि विधायक के भाई व समर्थक देख लेंगे तो नहीं छोड़ेंगे. उसका इरादा था कि रात को चुपचाप घर जाकर बच्चों से मिलता व अगले दिन फिर दिल्ली रवाना हो जाता मगर पिता ने जैसे ही गांव में पैर रखा, कुलदीप के भाई अतुल सिंह सेंगर ने अपने करीबियों के साथ उसे दबोच लिया. उसकी पिटाई की व आर्म्स एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराकर उसे ही कारागार भिजवा दिया. पुलिस ने भी कुलदीप के भाई का साथ दिया. गंभीर रूप से जख्मी पिता का पुलिस ने ठीक से उपचार नहीं कराया व पांच दिन बाद उसने कारागार में दम तोड़ दिया.

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