ग़ौरतलब है कि भाजपा के बढ़ते वर्चस्व को रोकना किसी भी पार्टी के लिए नामुमकिन सा होता जा रहा। एक तरफ जहाँ केंद्र की बात करें तो कांग्रेस हर दिन कमजोर होती जा रही। वहीँ क्षेत्रीय दलों का भी हाल कुछ बहुत अच्छा नहीं लग रहा।
इन्ही बातों को देखते हुए अब सारी पार्टिया एक हो रही। देखा जाये तो ये लगभग होना ही था। इसका अंदाजा बीजेपी के अस्तित्व को देखने से पता चल ही जाता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला अभी हाल ही के उत्तरप्रदेश के उपचुनाव में ,जहाँ SP और BSP जो की कभी एक दूसरे से छत्तीस का आंकड़ा रखते थे ,वो भी साथ आ गए।
बराबर सीट के लिए SP और BSP में हुआ ये गठबंधन
सूत्रों की माने तो दोनों दल अब आने वाले लोकसभा चुनाव में आधे-आधे सीट या यूँ कहे की बराबर सीट के सिंद्धांत पर काम करेंगी। चंडीगढ़ में बसपा संस्थापक काशीराम की जयंती पर आयोजित जनसभा में मायावती ने इस बात के संकेत भी दे दिए।
गोरखपुर और फूलपुर जैसे हालत बनाने की होगी कोशिश
गोरखपुर और फूलपुर के चुनावों में मिली जीत के बाद कहा जा सकता है की आप सपा बसपा के इस गठबंधन को आगे भी देखेंगे। बताया जा रहा कि गोरखपुर और फूलपुर में जीत दर्ज करने के बाद बुधवार शाम को अखिलेश यादव ,मायावती के घर पर गए थे और तकरीबन 40 मिनट की बातचीत हुयी। दोनों दलों की तरफ से भले ही कोई आधिकारिक ऐलान ना हुआ हो लेकिन सियासी गलियारों में गठबंधन की चर्चा जोरों पर है।
अब इस सीट के लिए लड़ेंगे साथ-साथ
उत्तरप्रदेश की दो महत्पूर्ण सीटों पर कब्ज़ा ज़माने के बाद अब सपा बसपा का ये गठबंधन आगे बढ़ते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर साथ साथ दिखेंगी। यह सीट भाजपा सांसद हुकुम देव के निधन के बाद खाली हुई है।