- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, July 28, 2022
कुछ दिन पहले काशी में गण्यमान्य शिक्षाविदों का सम्मेलन हुआ था. इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. इसमें नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर विचार किया गया था.नरेन्द्र मोदी ने पहले भी कहा था कि कुछ एक भाषाओं के वर्चस्व के कारण बौद्धिक आदान प्रदान और कौशल वृद्धि का दायरा सिकुड़ता गया।
इस प्रवृति को रोकने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा जैसे चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में शिक्षा सुविधाओं को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। सरकार का प्रयास है कि कोई भी भारतीय सर्वश्रेष्ठ ज्ञान, कौशल, सूचना और अवसरों से वंचित न रहे। भारतीय भाषाओं का विकास केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक आधार है। पिछले दो वर्षों से शिक्षा नीति पर सफल कार्यान्वयन चल रहा है.अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थान इस पर भी विभिन्न दृष्टिकोण से इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के साथ मिलकर इस कार्य में योगदान कर रहे हैं. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है. वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने,राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है.कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी कई नीतिगत पहल की है। कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं.किन्तु अभी अनेक विश्वविद्यालय इस दौड़ में पीछे है. देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक विस्तृत है. इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है।
परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। बहु-विषयक और समग्र शिक्षा,कौशल विकास और रोजगार भारतीय ज्ञान प्रणाली शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान,नवाचार और उद्यमिता,गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श चल रहा है.इससे ज्ञान के आदान प्रदान को बढ़ावा मिलेगा. अतः विषय विचार विमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क कायम होगा.
शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों का निवारण किया जाएगा.इनके समाधान की योजना बनेगी.राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त कर अच्छे व्यक्तित्व के धनी वैश्विक नागरिक का निर्माण किया जाना है। भारत को वैश्विक स्तर पर शैक्षिक रूप से महाशक्ति बनाना तथा भारत में शिक्षा का सार्वभौमीकरण कर शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च करना है। नई नीति के वर्तमान में चल रही 10$2 के मॉडल के स्थान पर पाठ्यक्रम में 5$3$3$4 की शैक्षिक प्रणाली को लागू किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार के निवेश का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है,जिसमें केन्द्र तथा राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र के सहयोग के लिए देश की छह प्रतिशत जीडीपी के बराबर शिक्षा क्षेत्र में निवेश करेगी। अगले करीब बारह वर्ष तक उच्च शिक्षा में जीईआर को पचास प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।
उत्तर प्रदेश में जीईआर बढ़ाने हेतु प्रत्येक स्तर पर नए शिक्षा संस्थानों की स्थापना तथा वर्तमान संस्थानों में अधोसंरचना का विकास किया जाना चाहिए। प्रदेश में पांच स्पेशल एजुकेशन जोन चिन्हित कर प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के उत्कृष्ट सरकारी और निजी संस्थान स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश प्रत्येक जनपद में एक उत्कृष्ट मल्टीडिस्प्लिनरी एजुकेशन एण्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी की स्थापना पर भी विचार हो रहा है. जिन जिलों में विश्वविद्यालय है,उन्हें बहुविषयक बनाया जा सकताहै।
उनकी गुणवत्ता में सुधार पर फोकस करते हुए अध्ययन-अध्यापन में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास, योग शिक्षा, मूल्य आधारित शिक्षा, चरित्र निर्माण, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, सामाजिक सरोकार, राष्ट्रीय विकास तथा वैश्विक परिदृश्य की समझ पर जोर दिया जाएगा. मैकाले शिक्षा पद्धति सिर्फ नौकरी पेशा की मानसिकता प्रस्तुत करने के लिए बनाई गई थी।
अब भारत विश्वगुरु पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में बढ़ रहा है.वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु विकसित देश भी भारत की तरफ देख रहे हैं.भारत को इस जिम्मेदारी के निर्वाह हेतु अधिक सक्षम बनाना है. नई शिक्षा नीति इसी लक्ष्य के अनुरूप है.नई शिक्षा नीति एक बदलाव लाई गई है। भारतीय भाषाओं को पूरा सम्मान और महत्त्व दिया गया. केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को रोजगार के लिए नहीं बल्कि रोजगार निर्माता बनने पर जोर दिया गया है। ढाई सौ से अधिक फ्री टू एयर चैनल के जरिये गुणात्मक शिक्षा दी जायेगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से भारत के सामान्य घर के बच्चों तक शिक्षा उपलब्ध होगी. कुछ दिन पहले लखनऊ राजभवन में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के सहयोग से कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था।
इसमें आनन्दी बेन पटेल ने कहा था कि वैश्विक डेस्टिनी के अंतर्गत उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शिक्षा के साथ शोध और अनुसंधान को भी प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है. प्रीस्कूल एजुकेशन लेवल यानी केजी से लेकर पीजी तक हर वर्ग के प्रत्येक छात्र के लिए शिक्षा की योजना बनानी होगी। नई शिक्षा नीति शिक्षण संस्थानों में सभी स्तरों पर व्याप्त इस अंतर को पाटने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभा रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति के ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ के सूत्र वाक्य को आत्मसात करते हुए उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज को शासकीय संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों की नैक एक्रैडीटेशन की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए सभी पात्र संस्थानों की तत्काल नैक ग्रेडिंग कराये जाने के निर्देश दिए थे.उन्होने अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा की थी.उन्होने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक आयामों का बेहतर समावेश है। यह नीति समाज को स्वाबलम्बन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी होने से विद्यार्थी किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान भी समृद्ध होगा। विश्वविद्यालयों में स्थानीय समस्याओं पर अन्तर्विषयी शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा. ग्लोबल सिग्नीफिकेन्ट रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा. भारत अभियान स्कीम यूबीए के तहत अधिक से अधिक शिक्षा संस्थानों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ने की आवश्यकता है. ग्राम्य विकास से सम्बन्धित पाठ्यक्रमों के संचालन पर विशेष बल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योग अकादमिक सम्बन्धों को बढ़ाना चाहिए। सोशल कनेक्ट के ज़रिये शिक्षा संस्थानों द्वारा गांवों में लघु उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। करिकुलम एण्ड पेडागॉज़ी, मूल्यांकन एवं परीक्षा सुधार, शिक्षकों की क्षमता वृद्धि एवं शिक्षकों की नियुक्ति, कौशल उन्नयन की दिशा में और सुधार के लिए विशेष प्रयास की जरूरत बताई।
आपदा प्रबन्धन,सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग, डेटा सिक्योरिटी,ट्रैफिक मैनेजमेण्ट,फायर सेफ्टी जैसे विषयों की प्रारम्भिक जानकारी भी दी जाए। प्रदेश के सबसे बड़े अन्तर्विभागीय कन्वर्जेंस कार्यक्रम ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ और ‘स्कूल चलो अभियान’ का करीब डेढ़ लाख स्कूलों में सफल क्रियान्वयन हुआ है। विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 6200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का निवेश किया गया है। शिक्षा की गुणवत्ता राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।