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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की चिट्ठी के निहितार्थ

देश में कोरोना संक्रमण से मचे हाहाकार और कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों ने सरकार की नींद उड़ा रखी है। ऐसा कोई दिन नहीं है जब देश में एक दिन में महामारी के दो लाख से ज्यादा मामले सामने न आए हों। दिल्ली सहित 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऑक्सीजन सिलेंडर, टीके की खुराक और रेमडेसिविर की मांग पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। भारत में कोविड-19 रोगियों की संख्या 1.50 करोड़ और मृतकों की संख्या 1.75 लाख के करीब पहुंचने के नजदीक है। कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए जन स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करने के लिए पीएम मोदी ने एक बैठक बुलाकर महामारी को हराने के लिए राज्यों में सहयोग का आह्वान किया और कहा कि दवा निर्माण की पूर्ण राष्ट्रीय क्षमता का इस्तेमाल किया जाए।

इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर वैक्सीनेशन को तेज करने का सुझाव दिया है। दरअसल, CWC की बैठक में चर्चा के दौरान मिले सुझावों को इकट्ठा कर उन्हें यह चिट्ठी पीएम मोदी को भेजी है, जिसमें मनमोहन सिंह ने कोरोना से हो रही तबाही का जिक्र करते हुए वैक्सीनेशन को लेकर पांच सुझाव दिए हैं। इसके माध्यम से उन्होंने 45 साल से कम उम्र के लोगों को टीकाकरण में छूट दिए जाने की बात कही है।

कोरोना को कैसे हराया जाए, दिए 5 सुझाव

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि महामारी को काबू करने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, कितने लोगों को टीका लगा है, यह आंकड़ा ना देखकर हमें इस पर फोकस करना चाहिए कि आबादी के कितने फीसद लोगों को टीका लगा है। सबसे पहले सरकार को अगले छह महीने के लिए टीकों के दिए गए ऑर्डर, किस तरह से टीके राज्यों के बीच वितरित होंगे, इस बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा, सरकार को यह बताना चाहिए कि अलग-अलग वैक्सीन उत्पादकों को कितने ऑर्डर दिए गए हैं, जिन्होंने अगले छह महीने में डिलीवरी का वादा किया है। यदि हम लक्षित संख्या में लोगों को टीका लगाना चाहते हैं तो हमें अडवांस में पर्याप्त ऑर्डर देने चाहिए ताकि उत्पादक समय से आपूर्ति कर सकें।

पूर्व पीएम ने लिखा की सरकार को यह बताना चाहिए कि इन संभावित टीकों का वितरण राज्यों के बीच किस तरह पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर किया जाएगा। केंद्र सरकार इन टीकों का 10 फीसदी आपातकालीन जरूरत के लिए रख सकती है, लेकिन बाकी का राज्यों को साफ सिग्नल मिले ताकि वे उस तरह टीकाकरण की योजना बना सकें। उन्होंने राज्यों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणियों को परिभाषित करने के लिए कुछ छूट दिए जाने की मांग की, जिससे 45 साल से कम उम्र के बावजूद टीका लगाया जा सके। उदाहरण के तौर पर राज्य स्कूल टीचर, बस, थ्री व्हीलर और टैक्सी ड्राइवर्स, म्यूनिसिपल और पंचायत कर्मियों और वकीलों को टीका लगाना चाहेंगे।

मनमोहन सिंह ने लिखा कि पिछले कुछ दशकों में भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है। जिसमें से अधिकांश क्षमता निजी क्षेत्र में हैं। उन्होंने इन कंपनियों को फंड और छूट देने की सलाह देते हुए कहा की जनस्वास्थ्य के लिए मौजूदा आपात स्थिति में भारत सरकार को वैक्सीन उत्पादकों को मदद देनी चाहिए, ताकि वे वैक्सीन बनाने की क्षमता का विस्तार कर सकें। पूर्व पीएम ने यह भी कहा कि वैक्सीन के घरेलू आपूर्तिकर्ता सीमित हैं, इसलिए ऐसे किसी भी टीके जिसे यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए ने मंजूरी दी हो, उसे देश में आयात और ट्रायल के बिना ही लगाने की मंजूरी देनी चाहिए।

मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत सहित पूरी दुनिया पिछले एक साल से ज्यादा समय से कोविड-19 महामारी से जूझ रही है। कई माता-पिता ने एक साल से विभिन्न शहरों में रहने वाले अपने बच्चों को नहीं देखा है। दादा-दादी ने अपने पोते-पोतियों को नहीं देखा है। शिक्षकों ने कक्षा में बच्चों को नहीं देखा है। कईयों ने अपनी आजीविका का स्रोत खो दिया है। इतना ही नहीं महामारी ने लाखों लोगों को गरीबी में धकेल दिया गया है। कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण के जो मामले हम वर्तमान में देख रहे हैं, इससे लोग भयभीत हैं। उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अब उनका जीवन सामान्य होगा या नहीं? महामारी से लड़ने के लिए हमें कई चीजें करनी चाहिए, जिसके लिए हमें किये जा रहे प्रयासों में टीकाकरण कार्यक्रम को तेज करना प्रमुख है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके सुझावों पर मौजूदा सरकार अमल करेगी। पूर्व पीएम की इस चिट्ठी का समर्थन करते हुए पी चिदंबरम ने मनमोहन सिंह द्वारा पीएम मोदी को दिए गए सुझावों को तुरंत स्वीकार करने का अनुरोध किया है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में पूर्व पीएम की इस चिट्ठी के अलग अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

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