गरीब सवर्णों को रिज़र्वेशन पर मुहर के साथ प्रारम्भ हुआ साल 2019 नागरिकता संशोधन कानून के साथ समाप्त हो रहा है. इस एक वर्ष में इतने बड़े निर्णय लिए गए हैं कि इतिहास जब भी ठोस फैसलों वाली तारीखों को खंगालेगा तब 2019 सबसे आगे की पंक्ति में उपस्थित नजर आएगा. नरेन्द्र मोदी सरकार की सत्ता में वापसी के बाद अनुच्छेद 370 समाप्त करना व नागरिकता पर नया कानून बनाना सबसे ज्यादा दूरगामी असर डालने वाले निर्णय रहे हैं. सरकार के बड़े व कड़े फैसलों पर
दोबारा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने के दो महीने बाद सरकार ने संवैधानिक आदेश पारित कर जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का साहसिक फैसला लिया. एक झटके में प्रदेश का विशेष दर्जा समाप्त हुआ व 31 अक्तूबर से जम्मू और कश्मीर व लद्दाख नए केंद्रशासित प्रदेश बन गए. इसके तहत जम्मू और कश्मीर को सात दशकों से अलग ध्वज, अलग संविधान की अनुमति थी. सरकार का इशारा स्पष्ट था कि वह बड़े व कड़े निर्णय लेने में सियासी नफे-नुकसान की परवाह नहीं करेगी. 370 हटाना हिंदुस्तान के एक भू-भाग पर ही नहीं, बल्कि देश व संसार में हलचल पैदा करने वाला निर्णय था. सतर्क सरकार इस पर न सिर्फ संसद की मुहर लगवाने में पास रही बल्कि चाकचौबंद सुरक्षा इंतजामों से कश्मीर में अशांति की तमाम आशंकाओं को निराधार साबित किया. कूटनीतिक मोर्चे पर भी हिंदुस्तान ने पाक व उसके साथ खड़े चाइना की हर चाल नाकाम कर दी.
शाह ने पहले ही दे दिए थे संकेत
जम्मू और कश्मीर के खास दर्जे को खत्म कर उसके विधिवत एकीकरण का निर्णय गृह मंत्री अमित शाह के एजेंडे में सबसे ऊपर था. शाह ने इस पर अपनी मंशा जाहिर करने में भी संकोच नहीं किया. संसद में कश्मीर पर चर्चा के दौरान उन्होंने बोला था कि 370 संविधान का अस्थायी प्रावधान है. जुलाई में पत्रकारों से मुलाकात में भी उन्होंने इसका साफ इशारा दिया था. लिहाजा पीएम नरेंद्र मोदी की हरी झंडी के साथ इसकी तैयारी प्रारम्भ कर दी गई. शाह ने बतौर गृह मंत्री पहली बड़ी मीटिंग कश्मीर पर ही की.