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सनातन धर्म में गाय के मूत्र को माना जाता है पवित्र, क्या है इसके पीछे का विज्ञान

दया शंकर चौधरी

सनातन धर्म में गाय को बहुत ही पवित्र माना गया है। अनेक अवसरों पर गाय की पूजा भी सनातन धर्म में की जाती है। गाय का दूध, गोबर और मूत्र को भी बहुत पवित्र माना गया है। प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग विभिन्न कामों में करते आ रहे हैं।

मान्यता है कि नियमित रूप से गौमूत्र के सेवन से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। गौमूत्र में ऐसी क्या खास बात है जो प्राचीन काल से ही इसका महत्व बना हुआ है। इसका वैज्ञानिक महत्व इस प्रकार है…

गौमूत्र से होने वाले फायदे

▪️आयुर्वेद के अनुसार, गौमूत्र विष नाशक, जीवाणु नाशक और जल्‍द ही पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्‍फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्‍लोराइड और सोडियम पाया जाता है।
▪️गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।
▪️ आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में कफ, पित्त, वात आदि तीन दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र के सेवन से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
▪️ दिमागी टेंशन की वजह से नर्वस सिस्‍टम पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन गौमूत्र के सेवन से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्‍हें किसी भी किस्‍म की कोई बीमारी नहीं होती।
▪️ शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गौमूत्र का सेवन बहुत लाभदायक है।
▪️ शारीरिक कमजोरी और मोटापा दूर करने के लिए भी गौमूत्र का सेवन लाभकारी होता है।

पहाड़ी इलाके की गाय का मूत्र माना गया है ज्यादा फायदेमंद

▪️ पहाड़ों पर, जंगल में तथा चट्टानों पर चरने वाली गाय के गोमूत्र को आयुर्वेद की दृष्टि से ज्यादा फायदेमंद माना गया है। क्योंकि इन क्षेत्रों की गाय हरी घास के साथ इन क्षेत्रों में होने वाली औषधियों का भी सेवन करती हैं। जिससे उनका असर उनके दूध व मूत्र में भी आ जाता है और उनके सेवन से लाभ मिलता है।
▪️अगर किसी गाय ने बछड़े को जन्म दिया है तो ऐसी गाय का दूध या गोमूत्र बहुत फ़ायदेमंद होता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं। वैज्ञानिक भाषा में बहुत स्वास्थ्यवर्धक हार्मोन और मिनिरल्स होते हैं।
(इस बात का रखें ध्यान: हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में स्वस्थ्य गाय के मूत्र का ही सेवन करना चाहिए।)

अक्षय कुमार की फिटनेस के पीछे का कारण है गौ-मूत्र

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार अपनी फिटनेस को लेकर काफी एक्टिव रहते हैं। अक्षय कुमार की फिटनेस का हर कोई दिवाना है। 53 की उम्र में भी अक्षय अपनी फिटनेस को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। वहीं इस बढ़ती उम्र में उनकी फिटनेस का एक राज सामने आया है। हाल ही में अक्षय कुमार ने एक लाइव चैट शो में बताया कि वह हर रोज गोमूत्र का सेवन करते हैं और ऐसा वह आयुर्वेदिक कारणों से करते हैं। ऐसे में गौ मूत्र के फायदों के बारे में चर्चा किए जाने की आवश्यकता है।

आपको बता दें कि सनातन धर्म में गौमूत्र का काफी महत्व है। गोमूत्र एक महौषधि है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, फॉस्‍फेट, अमोनिया, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार आदि पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है।

कीटाणुनाशक है गणतंत्र – गौमूत्र शरीर में पाये जाने वाले कई किस्‍म के कीटाणुओं का खात्‍मा करता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोषों (त्रिदोष) की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र के सेवन से ये बीमारियां दूर हो जाती हैं।

दांत की समस्या- दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है। इसके अलावा पुराना जुकाम, नजला, श्वास रोग आदि में एक चम्मच गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करने की सलाह दी गई है ।

हृदयरोग – 4 चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए भी यह लाभकारी है। मधुमेह के रोगियों को बिना ब्यायी गाय का गोमूत्र प्रतिदिन डेढ़ तोला सेवन करना चाहिए।

कैंसर से मुक्ति- आयुर्वेद मानता है कि गौ-मूत्र में कैंसर रोकने की क्षमता होती है। इस बारे में एक बात यह कही जाती है कि शरीर में करक्यूमिन तत्व जब कम होता है तब कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। गाय के मूत्र में करक्यूमिन पाया जाता जो कैंसर रोग से बचाता है।

वेट लॉस- आयुर्वेद के अनुसार गाय के पेशाब से मोटापा कम किया जा सकता है। गौ-मूत्र में विटामिन पाये जाते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं। गाय का मूत्र पाचन तंत्र को बेहतर करता है और वेट लॉस में मदद करता है।

पंचगव्य से ठीक होंगी कई बीमारियां, जानें इसके फायदे

गाय को हर रोग का उपचार करने में सक्षम माना गया है। चरक संहिता में पंचगव्य यानी गोदुग्ध (दूध), गोदधि (दही), गोघृत (घी), गोमूत्र (मूत्र) और गोमेह (गोबर) से कई रोगों के इलाज के बारे में कारगर बताया गया है। वहीं गोबर व गोमूत्र शरीर के शुद्धीकरण के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार इन सभी चीजों में प्रचुर मात्रा में विटामिन-ए, बी12, सी, डी, पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और एंटीबैक्टीरियल व एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। इनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है साथ ही ये दिमाग के लिए फायदेमंद है। खुजली, दाद, पेटदर्द, कब्ज, अपच और बवासीर आदि रोगों के इलाज में भी मददगार हैं।

पंचगव्य बनाने की विधि- गाय का दूध- 2 लीटर, गाय के दूध का दही- 2 किलो, गौ-मूत्र– 3 लीटर, गाय का घी- आधा किलो, ताजा गोबर गाय का- 5 किलो, गन्ने का रस – 3 लीटर, नारियल का पानी- 3 लीटर, पके केले – 12 (एक दर्जन)।

पंचगव्य बनाने का तरीका – पंचगव्य को मिट्टी कंक्रीट या प्लास्टिक से बने किसी बड़े बर्तन में तैयार किया जाना चाहिए। कंटेनर में गाय का गोबर और घी का मिश्रण डालना चाहिए। फिर उस मिश्रण को दिन मे 2 बार 3 दिन तक हिलाते रहना चाहिए। चौथे दिन कंटनेर मे शेष सामग्री मिलाकर फिर अगले 15 दिनों तक दिन मे 2 बार मिश्रित करते रहें। इसके बाद उन्नीसवे दिन पंचगव्य मिश्रण उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

अमेरिका ने भी माना गोमूत्र को अमृत, फायदे जानकर रह जायेंगे हैरान

विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में गौमूत्र को औषधि का स्थान प्राप्त है और इसे अमृत या जीवन का जल (water of life) कहा गया है। कई औषधियों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है। सुश्रुत संहिता में गौमूत्र को पशु उत्पत्ति (animal origin) का सबसे प्रभावी पदार्थ बताया गया है। इसे पंचगव्य घृत के पांच अवयवों में से एक महत्वपूर्ण अवयव माना गया है। पंचगव्य गाय के मूत्र, दूध, घी, दही और गोबर से तैयार होती है और औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसका प्रयोग कई रोगों से लड़ने या औषधि में प्रयोग किए जाने वाले जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर किया जाता है। इस तरह के अनोखे उपचार को काउपैथी या पंचगव्य पथरी कहा जाता है और यह मधुमेह, कैंसर और एड्स जैसी घातक बीमारियों के लिए भी फायदेमंद बताया गया है। अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी गोमूत्र के महत्व को स्वीकारा है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन और यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की वेबसाईट पर दी हुई जानकारी के मुताबिक़ गौमूत्र को इसके औषधीय गुणों के लिए यूएस पेटेंट (सं. 6,896,907 और 6,410,059) प्रदान किया गया है। वहां हुए रिसर्च में भी इसे जैव बढ़ाने वाला (bioenhancer) एंटीबायोटिक एंटिफंगल और एंटीकैंसर माना गया है।

भारत में गोमूत्र सेवन की पुरानी परम्परा: भारत में हजारों वर्षों से गोमूत्र सेवन का चलन है और इसका उपयोग प्राचीन काल से ही कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद साहित्य में कुष्ठ, शूल, उदर रोग, उदर शूल,पेट फूलना आदि के उपचार के लिए इसके महत्व और उपयोगों का उल्लेख मिलता है। चर्म रोग, पेट के रोग, गुर्दे के रोग, हृदय रोग, पथरी, मधुमेह, लीवर की समस्या, पीलिया, रक्तस्राव आदि के उपचार में भी इसका महत्व प्रमाणित हो चुका है।

गौमूत्र के तत्व: गोमूत्र में पानी 95%, यूरिया 2.5%, खनिज, नमक, हार्मोन और एंजाइम 2.5% हैं। इसमें लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, यूरिया, यूरिक एसिड, अमीनो एसिड, एंजाइम, साइटोकिन और लैक्टोज आदि शामिल हैं।

(Disclaimer अस्वीकरण) प्रकाशित लेख का उद्देश्य आयुर्वेद से संबंधित जानकारी देना और जागरूकता पैदा करना है। कृपया चिकित्सक की सलाह लेकर ही किसी प्रकार की चिकित्सा अथवा उपयोग करें

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