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दलबदल की सियासत में स्वामी के रूप में भाजपा को अभी और लगेंगे झटके

      अजय कुमार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के बीच दलबदल का दौर शुरू हो गया है. पुराने बसपाई और आज सुबह तक जो भाजपाई थे, वह दोपहर होते-होते समाजवादी हो गए हैं. वैसे तो भाजपा के पास मौर्या नेता के रूप में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जैसा कद्दावर नेता मौजूद है,फिर भी स्वामी प्रसाद मौर्या का बीजेपी छोड़ना किसी झटके से कम नहीं है. 2016 में ऐन विधान सभा चुनाव से पूर्व बसपा छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या को भाजपा ने काफी कुछ दिया,लेकिन सियासत में यह बात मायने नहीं रखती है, यदि ऐसा ही होता तो स्वामी बहुजन समाज पार्टी को कभी नहीं छोड़ते. यह भी नहीं कहा जा सकता है कि यदि सपा सत्ता में नहीं आई तो स्वामी कितने दिनों तक समाजवादी पार्टी के वफादार बने रह पाएंगे.

स्वामी कहें कुछ लेकिन हकीकत यह है कि वह अपने बेटे और समर्थकों के लिए बड़ी संख्या में टिकट मांग रहे थे,लेकिन आलाकमान ने इसे अनदेखा कर दिया था.इतना ही नहीं स्वामी से किसी ने कायदे से बात भी नहीं पसंद की.इसी को लेकर स्वामी का गुस्सा बढ़ गया था. अब स्वामी कह रहे हैं कि बीजेपी में पिछड़ों को सम्मान नहीं मिल रहा है,लेकिन यह सब बाते हैं बातों का क्या,हकीकत तो यही है स्वामी अपने बेटे की सियासी पारी चमकाने के लिए समाजवादी रंग में रंग गए हैं.

खैर, आज तेजी से घटे घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका देते हुए योगी सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य/स्वामी प्रसाद मौर्या ने मंत्री पद के साथ-साथ भाजपा से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया, भाजपा छोड़ने के बाद अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा का दामन थामा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 विधानसभा चुनाव से पूर्व जब भाजपा का दामन थामा था तो बीजेपी ने स्वामी को पडरौना सीट से लड़ाया थ और वह चुनाव जीत कर विधायक बने थे. वह पडरौना सीट से लगातार तीन बार से विधायक हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्या के भाजपा छोड़ने की खबर ने तब सुर्खियां बटोरी जब अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ तस्वीर शेयर कर लिखा- ‘सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा- बाइस में बदलाव होगा.
स्वामी के बाद जिन विधायकों के पार्टी छोड़ने की खबरे आ रही हैं उसमें स्वामी प्रसाद के करीबी आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत 4 विधायक शामिल हैं,यह भी देर-सबेर स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं. सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा को कई झटके लगने वाले हैं. मंत्री दारा सिंह चौहान भी भाजपा छोड़ सकते है. इतना ही नहीं, कानपुर देहात से बीजेपी विधायक भगवती प्रसाद सागर भी स्वामी प्रसाद मौर्य के आवास पर देखे गए थे, खबर यह भी है कि तिलहर से भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा भी सपा में जाने की तैयारी कर चुके हैं,बस समय की बात है कि कब वह भाजपा से किनारा करेंगे.
बहरहाल, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को इस्तीफा सौंपते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने बातें पत्र में लिखी थीं उसके अनुसार स्वामी वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रहे थे और उन्हें दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देना पड़ा.

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