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भारत और केन्या के संबंधों को और मजबूत कर रहे एस. जयशंकर

भारत एवं अफ्रीका को कोविड-19 महामारी से मिली सीधी सीख है कि विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण की को बढ़ावा दिया जाए। भारत और अफ्रीका को विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण के लिए मिलकर कोशिश करनी चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नैरोबी विश्वविद्यालय में जीणोद्धार किए गए ‘महात्मा गांधी स्मारक पुस्तकालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कहा कि कोविड-19 महामारी ने कुछ सीमित देशों पर निर्भर होने के खतरों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि जब आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होती हैं और मांग आपूर्ति से ज्यादा होता है तो कमजोर देशों का ठगा जाना तय है। अफ्रीका ऐसी स्थिति को स्वीकार नहीं कर सकता और यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग की भावना के खिलाफ जाता है।

विदेश मंत्री ने कहा-आपूर्ति श्रृंखलाओं के बाधित होने और मांग आपूर्ति से ज्यादा होने से कमजोर देशों का ठगा जाना तय है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आधुनिक अफ्रीका का उदय केवल एक नेक भावना ही नहीं है बल्कि यह एक लंबे समय से प्रतीक्षित अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि जब इस महाद्वीप के एक अरब से अधिक लोगों की समुचित भागीदारी मिलेगी, तभी हमारे ग्रह की पूर्ण विविधता को उचित अभिव्यक्ति हो पाएगी। तब ही हम न्यायोचित रूप से यह घोषणा कर सकते हैं कि विश्व वास्तव में बहुध्रुवीय है।

भारत और अफ्रीका को विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण के लिए मिलकर कोशिश करनी चाहिए-एस. जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा लिए गए निर्णय वास्तव में तभी वैश्विक होंगे, जब अफ्रीका की आवाज पर्याप्त रूप से सुनी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख निकायों में सुधार के द्वारा होना चाहिए, जिसके भारत और केन्या दो साल के लिए गैर-स्थायी सदस्य हैं। बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को तीन दिवसीय दौरे पर नैरोबी पहुंचे थे। जहां वह भारत और केन्या के संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं।

    शाश्वत तिवारी

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