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जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, संस्थागत प्रसव ही अच्छा

• नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे – जनपद में बढ़ रहे है संस्थागत प्रसव

कानपुर नगर। नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफ़एचएस-4) 2015-16 के अनुसार जनपद में 76.4 फीसदी संस्थागत प्रसव के मामले सामने आए जबकि एनएफ़एचएस-5 2019-21 के अनुसार यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 86.6 फीसदी पहुंच गया है। यह बताता है कि जनपद में संस्थागत प्रसव का स्तर बढ़ता जा रहा है।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का कहना है की सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव का होना बहुत जरूरी है चाहे वो सरकारी अस्पताल में हो या निजी अस्पतालों में। संस्थागत प्रसव का तात्पर्य चिकित्सा संस्थान में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मियों के पर्यवेक्षण में एक बच्चे को जन्म देना है जहां स्थिति को संभालने और माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध रहती है। संस्थागत प्रसव के परिणामस्वरूप शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है वहीं माता और शिशु के समग्र स्वास्थ्य की स्थिति में वृद्धि भी की जा सकती है।

जच्चा-बच्चा की सुरक्षा

संस्थागत प्रसव से होने वाले लाभ

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके सिंह का कहना है की बहुत सी माताएं अस्पताल में अपने आपको सबसे सुरक्षित महसूस करती हैं। चिकित्सा जटिलताओं के जोखिम में माताओं के लिए यह सबसे सुरक्षित वातावरण भी है। यदि जच्चा बच्चा दोनों को किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो आपातकालीन स्थिति में उनपर विशेष ध्यान दिया जाता है। नवजात शिशु की देखभाल के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा मौजूद रहती है एवं बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच की जाती है।

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डॉ सीमा श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल ने कहा कि मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार की ओर से कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। गर्भवती को 102 व 108 एंबुलेंस से आने-जाने की सुविधा मौजूद है। गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये दिये जाते है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत पहले बच्चे में 5000 रुपये तीन किस्तों में दिया जाता है। इन सुविधाओं से और आर्थिक रूप से भी गर्भवती महिलाओं को मदद मिलती है। कम वजन के बच्चों को सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट के जरिये देखभाल की जाती है। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आ सके।

एएनएम और आशा की भूमिका

जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक योगेंद्र पाल बताते हैं की एएनएम और आशा, स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के लिए समुदाय में निरंतर संपर्क बनाए रखती है। वहीं गर्भवती मां और उसके परिवार को प्रेरित करने और गर्भ के दौरान कम-से-कम चार प्रसवपूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिए जागरूक करती है। एएनएम और आशा संस्थागत प्रसवों में सुधार लाने हेतु एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जननी शिशु सुरक्षा योजना पर जागरूकता फैलाती है जो सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में बिल्कुल मुफ्त और बिना किसी व्यय वितरण के लिए सुविधा प्रदान कराती है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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