विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल के विचार सदैव शिक्षाप्रद होते है। वह स्वयं भी शिक्षिका रही है। इस भाव भूमि पर वह विद्यार्थियों को सन्देश देती है। विश्वविद्यालयों के ऐसे कार्यक्रमों में बच्चों की सहभागिता का अभिनव प्रयोग भी उन्होंने प्रारंभ किया था। उनका कहना था कि इससे छोटे बच्चों को आगे पढ़ने व बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। दीक्षांत चिकित्सा से संबंधित था। ऐसे में आनन्दी बेन पटेल ने उसी के अनुरूप सुझाव भी दिया।
उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदनाओं जैसे गुणों को चिकित्सा विद्यार्थी अपने में समाहित करें। क्योंकि मानवता के प्रति संवेदनशीलता का भाव ही आपको सामाजिक उत्तरदायित्वों का बोध करायेगा। यही विचारों को परिपक्व करेगा। बेहतर चिकित्सक के साथ अच्छे इंसान बनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मरीजों का विश्वास जीतें और निर्धन, असहाय और साधनविहीन लोगों की सेवा का संकल्प लेना चाहिए। आनंदीबेन पटेल ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के पच्चीसवें दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया।
वैश्विक परिवेश व अवसर
कोरोना आपदा को अवसर में बदलने का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी आपदा में अवसर के विचार से आगे बढ़ा। राज्यपाल ने कहा कि आज के वैश्विक परिवेश ने युवाओं को अनेक अवसर प्रदान किये हैं। विद्यार्थियों को सभी चुनौतियों का समाधान करते हुए जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंचना है। विकसित देशों के स्वास्थ्य ढांचे से सबक लेते हुए हमें देश के स्वास्थ्य ढांचे विशेषकर ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य ढांचे पर और ध्यान देना होगा।
महामारी कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों में भी एसजीपीजीआई द्वारा न केवल कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है। साथ ही अन्य मरीजों को भी अपने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाते हुए उचित चिकित्सकीय परामर्श तथा उपचारित करना एवं यथा आवश्यक उनकी शल्य क्रियाओं का निष्पादन सुचारू रूप से किया जा रहा है। यह संस्थान की आम जनमानस के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के प्रति संवेदना का प्रतीक है।
आधुनिक व पारम्परिक का समन्वय
आनन्दी बेन ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा के साथ साथ भारत की पारम्परिक चिकित्सा विधाओं को भी विकसित एवं मजबूत करने की आवश्यकता है। क्योंकि कोविड के मध्य हमारी पारम्परिक चिकित्सा एवं खान पान काफी कारगर रहा है। जन सामान्य का विश्वास भी इस ओर बढ़ा है। वास्तव में चिकित्सा विधाएं सिर्फ उपचार पर आधारित नहीं है,बल्कि बीमारियों के बचाव तथा शरीर की रोगों के प्रति लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के सिद्धान्त पर भी कार्य करती हैं।
अनुसन्धान अपरिहार्य
राज्यपाल चिकित्सा क्षेत्र में अनुसन्धान पर बल डियस। कहा कि अनुसंधान और नये अन्वेषण ने विविध सेवा क्षेत्र की कुशलता को बढ़ाने में योगदान दिया है। वैज्ञानिकों ने परमाणु और अंतरिक्ष विज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य प्रौद्योगिकियों में तीव्र प्रगति की है। देश में अनुसंधान-कर्ताओं और वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं है। भौतिक और अनुपयुक्त क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रगति की उचित जानकारी है। उनके पास राष्ट्र की प्रगति के लिये अनुसंधान करने के ज्ञान का भण्डार है।