लखनऊ। भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिये बगैर पलटवार करते हुये कहा कि पार्टी कार्यकर्ता और संघ के स्वयंसेवक कोरोना काल में जनता के बीच रहकर उनके सुख दुख के साझीदार हो रहे हैं, जबकि विपक्ष के प्राइवेट लिमिटेड पार्टियों के सीईओ अपने घरों में कैद रहकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि भाजपा एक कार्यकर्ता आधारित संगठन है वहीं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाने वाले राजनीति दल को संगठन और कार्यकर्ता का ज्ञान कहा होगा। भाजपा के लिये राजनीति सेवा का माध्यम है। जनता के बीच रहना, अभियानों, कार्यक्रम की समीक्षा एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है लेकिन जिनका परिवार ही पार्टी है, घर घराना ही हर पद पर काबिज है, जो कुर्सी के लिये पिता और चाचा तक का अपमान कर सकते हैं उनसे बैठक और समीक्षा जैसी संगठनात्मक व्यवस्था के ज्ञान की अपेक्षा करना ही बेमानी है।
स्वतंत्र देव ने कहा कि जनता ने सपा की सरकार देखी है। प्रदेश ने देखा है कि कैसे सैफई खानदान पूरे प्रदेश को लूट रहा था। अपराध, अराजकता, भ्रष्टाचार और गुंडाराज का बोलबाला था। आज योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने प्रदेश में सुशासन और अपराधमुक्त व्यवस्था कायम की है। प्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के मुखिया को जनता के द्वार सरकार और सगठन का पहुंचना सुहा नहीं रहा है क्योंकि सपा मुखिया खुद मुख्यमंत्री रहने के दौरान या तो सीएम आवास में कैद रहे नहीं तो लंदन की सैर करते रहे। जनसरोकार की राजनीति से उनका कभी लेना-देना नहीं रहा। सपा सहित विपक्ष के दल आज टीकाकरण पर टिप्पणी कर रहे हैं, जबकि कुछ महीनों पहले तक यही लोग टीकाकरण को लेकर जनता को गुमराह कर रहे थे।
यूपी देश में सर्वाधिक कोविड टेस्ट व टीकाकरण करने वाला राज्य है। लेकिन भ्रष्टाचार, हताशा व नकारात्मकता का चश्मा पहने विपक्ष को सच दिखाई नहीं देता है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष के नेता जमीनी कामों से अवगत ही नहीं है। प्रदेश में सबको निःशुल्क कोविड का टीका लग रहा है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा चुका है। जिस प्रदेश में कोविड का केवल एकमात्र टेस्ट सेंटर था आज वहां तीन लाख से अधिक टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज, बेड आदि की संख्या दोगुनी से अधिक हो चुकी है। अच्छा होता कि विपक्ष इस आपदा की घड़ी में जनता की मदद में हाथ बंटाता लेकिन उसे इसमें बाधा पहुंचाने से ही फुर्सत नहीं है। यही कारण है कि जनता ने 2017 और 2019 में विपक्ष को फुर्सत से घर बैठा दिया था और आगे 2022 में भी इन्हें इनके महलों के रौशनदानों तक ही सीमित कर देगी।