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न्यायविदों ने सीएमएस के छात्रों की ‘सुरक्षित भविष्य’ की अपील का समर्थन किया

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 21वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का दूसरा दिन आज राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र एवं विधानसभा अध्यक्ष, उ.प्र.हृदय नारायण दीक्षित की गरिमामय ऑनलाइन उपस्थिति से गुलजार रहा तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न देशों के न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य गणमान्य हस्तियों ने अपने सारगर्भित संबोधनों से एक नवीन विश्व व्यवस्था की सुखमय तस्वीर प्रस्तुत की। 63 देशों के इन प्रतिभागी न्यायविदों व कानूनविदों ने आज एक स्वर से सीएमएस छात्रों की ‘भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य’ की अपील का पुरजोर समर्थन किया। विदित हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 21वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन 6 से 9 नवम्बर तक ऑनलाइन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद के अध्यक्ष, न्यायमंत्री, संसद सदस्य, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश एवं विश्व प्रसिद्ध शान्ति संगठनों के प्रमुख समेत 63 देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् ऑनलाइन अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।


इस ऐतिहासिक सम्मेलन के दूसरे दिन प्रातःकालीन सत्र का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि सुधांशु त्रिवेदी, राज्यसभा सदस्य, ने कहा कि इस वर्ष स्थितियाँ पिछले वर्षों से भिन्न हैं और ये हमें वैश्विक एकता के लिए और अधिक प्रेरित कर रही हैं। अब समय आ गया है कि हम ग्लोबल गवर्नेन्स के बारे में गंभीरता से सोचें। पर्यावर्णीय समस्याएं एवं परमाणु बम का खतरा आज पूरी दुनिया में बढ़ा है। यदि भविष्य में दुनिया को महामारी से मुक्त रखना है तो हमें विश्व एकता के बारे में गंभीरता से सोचना होगा।

फिलीपीन्स के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिलेरियो डेविड जूनियर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन आवश्यक है जिससे बच्चों की अपील को ध्यान में रखते हुए एक विश्व सरकार, विश्व संसद और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था का गठन किया जा सके। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति कगामे मोन्टलैन्थे ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक महामारियों के इस काल में वैश्विक सुशासन की महती आवश्यकता है। हमें ऐसे समाज की संरचना करनी है जिसमें दुनिया के सभी देश एक विश्व व्यवस्था का हिस्सा बनें और विश्व मानवता के साथ ही समस्त प्रकृति की सुरक्षा हेतु तत्पर रहें। लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डा. पकालिथा बी. मोसिलिली ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया के विभिन्न देशों की कमजोरी को जगजाहिर कर दिया है। अब समय आ गया है कि सभी देश आगे बढ़ें और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन कर वैश्विक शासन का मार्ग प्रशस्त करें। हमें अपने बच्चों के रहने के लिए एक स्वच्छ व सुरक्षित धरती का निर्माण करना चाहिए। घाना के संसद अध्यक्ष प्रो. एरोन मिशैल ओकाये ने कहा कि सबके प्रति न्याय सुनिश्चित करने के लिए हमें एक नई विश्व व्यवस्था की आवश्यकता है, जिससे सामाजिक असमानतायें दूर हो सकें एवं सभी को सामाजिक व आर्थिक न्याय मिले।


सीएमएस प्रेसीडेन्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने सभी न्यायविदों, काननूविदों व गणमान्य हस्तियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी न सिर्फ सीएमएस छात्रों को अपितु समस्त युवा पीढ़ी को विश्व नागरिक बनने में सहायता प्रदान कर रहे हैं और विश्व की समस्त मानवा में विश्व एकता व विश्व शान्ति के विचारों में भर रहे हैं, जिससे निश्चित ही एक नई विश्व व्यवस्था का सृजन होगा।

सम्मेलन के दूसरे दिन आज अपरान्हः सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि कलराज मिश्र, महामहिम राज्यपाल, राजस्थान ने किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मिश्र ने कहा कि महत्वूपर्ण बात यह है कि हमें अपनी पिछली गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए बल्कि ऐसे उपाय करने चाहिए विश्व एकता व विश्व शान्ति पर आधारित एक नया समाज गठित हो। वर्तमान में वैश्विक कोरोना महामारी के कारण विश्व की सारी मानवता को भारी नुकसान उठाना पडा़ है। ऐसे में आज हमें संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान स्वरूप पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने न्यायाधीशों व कानूनविदों से अनुरोध किया कि वे भावी पीढ़ी के सुखद व सुरक्षित भविष्य की यह मशाल लगातार प्रज्वलित करते रहें। इसके अलावा, आज सायंकालीन सत्र का उद्घाटन प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया। श्री दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की महान संस्कृृति एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 की भावना को सारे विश्व में पहुँचाने की आज जरूरत है और यही समय की मांग भी है।

सीएमएस संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही एक आदर्श विश्व व्यवस्था की धुरी है, जो आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियन्त्रित करने में सक्षम है। डा. गाँधी ने सी.एम.एस. छात्रों की अपील का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व के ढाई अरब बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। उन्हें बमों का जखीरा नहीं चाहिए, अतः एक ऐसी विश्व व्यवस्था का निर्माण होना चाहिए विश्व में एकता व शान्ति स्थापित हो सके, बच्चों पर अत्याचार समाप्त हो और युद्ध समाप्त हो।

आज की परिचर्चा में कोमोरो सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति शेख सलीम सैद आटोमाने, बेनिन सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति ओस्माने बटोको, इजिप्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ, नेपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शारदा श्रेष्ठ, टर्की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुस्तफा ओजमैन, सूडान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीमत अब्दुल्लाह एवं अर्जेन्टीना के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रिकार्डो ली रोसी समेत देश-विदेश के अनेक न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।

मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन के अन्तर्गत 63 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर जारी है जिसके अन्तर्गत एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन चल रहा है। सम्मेलन की परिचर्चा अलग-अलग पैरेलल सेशन्स के अन्तर्गत सम्पन्न हो रही है जिनमें ‘रिफाम्र्स ऑफ ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’, ‘ग्लोबल सिटीजनशिप एजूकेशन’, ‘ए न्यू डिफनीशन ऑफ सिक्योरिटी – फ्राम मिलिटरी सिक्योरिटी टु हेल्थ, वर्क एण्ड सोशल सिक्योरिटी’, ‘टैकलिंग रेस, रिलीजन एण्ड जेण्डर प्रिजुडाइसेज’, ‘इन्वार्यनमेन्ट प्रोटेक्शन एण्ड क्लाइमेट जस्टिस’, ‘द क्रिएशन ऑफ ए वल्र्ड पार्लियामेन्ट्र असेम्बली फाॅर यू.एन. एकाउन्टबिलिटी एण्ड लेजिटमेसी’, ‘रोल आफ द ज्यूडिशियरी इन बिल्डिंग ए मोर सिक्योर एण्ड इक्विटेबल वल्र्ड’ एवं ‘रोल ऑफ द मीडिया इन क्रिएटिंग ए क्लाइमेट ऑफ टाॅलरेन्स’ प्रमुख हैं। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के तीसरे दिन 8 नवम्बर, रविवार को प्रातः 10.00 बजे प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा एवं सायं 7.00 बजे कानून एवं न्यायमंत्री, उ.प्र. बृजेश पाठक अपनी गरिमामय ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करायेंगे। इसके अलावा, माॅरीशस के पूर्व राष्ट्रपति कासम उतीम एवं हैती के प्रधानमंत्री जीन हेनरी सिएन्ट समेत विभिन्न देशों के न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित सम्बोधन होंगे।

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