राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के 5 घंटे के अनशन ने कांग्रेस आलाकमान को फंसा दिया है। आलाकमान पायलट पर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है। प्रारंभ में कांग्रेस प्रभारी रंधावा के तेवरों ऐसा लगा कि पायलट पर ऐक्शन होगा।
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सचिन पायलट दिल्ली में है। चर्चा है कि कमलनाथ के आवास पर गुरुवार रात अहम मीटिंग हुई। चर्चा है कि मीटिंग में सचिन पायलट ने कहा कि अनशन पार्टी या सरकार के खिलाफ नहीं था। मैसेज सिर्फ याद दिलाना था कि चुनाव वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ा गया था और कांग्रेस सरकार भी बनी लेकिन चार साल में जांच तक नहीं हुई। जनता के बीच फिर जाएंगे तो सवाल खड़े होंगे? यह मामला नया नहीं था बल्कि, एक-डेढ़ साल से चिट्ठियां लिखी गई थीं।
भ्रष्टाचार को लेकर डेढ़ साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखे। लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि कमलनाथ, केसी वेणुगोपाल और सचिन पायलट के बीच अगले चुनाव में उतरने से पहले पायलट की ओर से दिए गए सुझावों पर अमल करना और इसमें पायलट की भूमिका तय करने को लेकर भी बात हुई। माना जा रहा है कि सचिन पायलट कमलनाथ और केसी वेणुगोपाल के समझाने में सफल रहे हैं कि अनशन पार्टी के खिलाफ नहीं था।
लेकिन फिलहाल यह मामला ठंडे बस्ते में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ की एंट्री के बाद पायलट पर तेवर नरम पड़े है। राहुल गांधी के हस्तक्षेप से सचिन पायलट (Sachin Pilot) को राहत मिल सकती है। चर्चा है कि राहुल गांधी पायलट के प्रति नरम है। पार्टी के सामने यही आखिरी सहारा है कि पायलट पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाए।
पायलट की 2020 की बगावत के बाद इस बार भी कांग्रेस आलाकमान से सचिन पायलट को अभय दान मिल गया है।सचिन पायलट ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों पर ऐक्शन नहीं लेने पर कांग्रेस पार्टी को उलझा दिया है। पायलट का कहना है कि सीएम गहलोत को दो बार पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।