हिन्दू धर्म में Janeu पहनना हर हिन्दू के लिए आवश्यक माना जाता है। लेकिन जनेऊ धारण करने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है।
समाज का हर वर्ग धारण कर सकता है Janeu
हिंदू धर्म में प्रत्येक Janeu हिंदू जनेऊ पहन सकता है बस जनेऊ के नियमो का पालन करना आवश्यक है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज( दूसरा जन्म) बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।
- जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं।
- यह तीन सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं।
- यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं।
- यह सत्व, रज और तम का प्रतीक होते हैं।
- यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक हैं।
- तीन सूत्रों वाला ये यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद धारण किया जाता है।
- अपवित्र होने पर होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है।
- नया जनेऊ पहनने से पहले स्नान के उपरांत शुद्ध कर लेने के पश्चात अपने दोनों हाथों में जनेऊ को पकड़कर इन मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए –
ॐ यज्ञोपवीतम् परमं पवित्रं प्रजा-पतेर्यत -सहजं पुरुस्तात। आयुष्यं अग्र्यं प्रतिमुन्च शुभ्रं यज्ञोपवितम बलमस्तु तेजः।।
- इसके बाद गायत्री मन्त्र का कम से कम 11 बार उच्चारण करते हुए जनेऊ या यज्ञोपवित धारण करें।