लखनऊ। आज प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में जाति व्यवस्था (Caste system) पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रख्यात पुरातत्वविद और इतिहासकार प्रो मक्खन लाल थे।
प्रो लाल विभाग के पूर्व छात्र भी रहे है। तत्पश्चात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। यह दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट के संस्थापक निदेशक, विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन नई दिल्ली के फेलो भी रहे। प्रो लाल कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रथम चार्ल्स वालेस फेलो भी थे।
तत्पश्चात प्रो लाल ने यूके, वेनेजुएला, यूएसए, मैक्सिको, इटली, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, रूस, थाईलैंड, कंबोडिया, फिलिपींस आदि देशों के शैक्षणिक अधिवेशन में सहभागिता की। वर्तमान में प्रख्यात टैगोर नेशनल फैलोशिप के चयन समिति के सदस्य हैं। इनकी 23 पुस्तकें और 200 से अधिक शोधपत्र विभिन्न शोधपत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
उनका व्याख्यान ब्रिटिश काल में जाती व्यवस्था पर था। प्रो लाल ने जाति शब्द की उत्पत्ति अंग्रजी शब्द से न होकर पुर्तगाली और स्पेनिश शब्द cast से बताया। ब्रिटिश काल में ब्राह्मणों के वर्चस्व को नियंत्रित करने के लिए जाति व्यवस्था को आधार बनाया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं कला संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो केके थपलियाल ने किया। इस कार्यक्रम में विभाग के पूर्व छात्रों ने भी सहभागिता की। इनमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ राकेश तिवारी, उप्र राज्य संग्रहालय लखनऊ के पूर्व उपनिदेशक डॉ एसएन उपाध्याय के अलावा विभाग के पूर्व आचार्य डॉ अमर सिंह, प्रो डीपी तिवारी और डी एवी पीजी कॉलेज के पूर्व आचार्य डॉ अंजनी मिश्रा आदि विद्वत जन उपस्थित थे। डॉक्टर लाल के इस व्याख्यान से विभाग के स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के छात्र छात्राएं लाभान्वित हुए।
प्रो लाल ने जाति व्यवस्था के संदर्भ में यह बताने का प्रयास किया कि समाजिक व्यवस्था प्राचीन काल से भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार थी और ब्राम्हण समाज को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे।# ब्रिटिश_काल में अंग्रेज भारतीय सामाजिक व्यवस्था को समाप्त करना चाहते थे, जिससे भारतीयों की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाए इसलिए इन्होंने जाति व्यवस्था पर प्रहार किया और ब्राह्मणों को नीचा दिखाने का प्रयास किए।