राजधानी दिल्ली के मौसम पर एक पश्चिमी विक्षोभ का असर बुधवार के बाद देखने को मिलेगा। इसके चलते दिल्ली में अलग-अलग हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी होने के आसार हैं। इससे राजधानी के अधिकतम तापमान में गिरावट आएगी।
दिल्ली में इस बार फरवरी का महीना बीते 73 सालों में तीसरा सबसे गर्म रहा था। जबकि, मार्च की शुरुआत भी सामान्य से ज्यादा गर्मियों के साथ हुई थी। खासतौर पर 16 मार्च का दिन सबसे ज्यादा गर्म रहा था। इस दिन अधिकतम तापमान इस सीजन में सबसे ज्यादा 34.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। लेकिन, इसके बाद से ही अधिकतम तापमान में गिरावट आई है।
पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हुई। मौसम विभाग का अनुमान है कि एक और पश्चिमी विक्षोभ का असर दिल्ली में बुधवार के बाद देखने को मिलेगा। इससे गुरुवार और शुक्रवार को हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना है। इसके चलते दिल्ली का मौसम आमतौर पर सुहाना बना रहेगा।
रविवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में सुबह से ही तेज चमकीला सूरज निकला रहा। दिन चढ़ने के साथ ही धूप भी तेज हो गई। हालांकि, पिछले दिनों हुई बारिश के चलते हवा मे नमी बनी हुई है। दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में दिन का अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड की गई जो कि इस समय का सामान्य तापमान है।
वहीं, न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो कि सामान्य से एक डिग्री कम है। मौसम विभाग का अनुमान है कि सोमवार को अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहेगा और इस दौरान हवा की गति चार से 16 किलोमीटर प्रति घंटे तक की हो सकती है। वहीं, मौसम की गतिविधियों के चलते दिल्ली की हवा साफ-सुथरी बनी हुई है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 160 के अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को मध्यम श्रेणी में रखा जाता है। सफर का अनुमान है कि अगले दो-तीन दिनों के बीच वायु गुणवत्ता का यह स्तर बना रहेगा।
वहीं मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर में 29 मार्च तक मौसम की स्थिति लगभग शुष्क रहेगी। लेकिन 30 मार्च तक एक एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय पर दस्तक देगा। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में गरज चमक के साथ बारिश का नया दौर शुरू होगा। यह पश्चिमी विक्षोम भी देश के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित करेगा। यह पश्चिमी विक्षोभ दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से लेकर पश्चिम बंगाल तक तमाम हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।