Lucknow। लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग में ‘Into the Philosophical Minds of the Fathers of Modern Science’ विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी (Seminar) का आयोजन कुलपति प्रो आलोक कुमार राय के संरक्षण में एवं विभागाध्यक्षा डॉ रजनी श्रीवास्तव (HOD Dr. Rajni Srivastava) के सयोजन में आयोजित किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता शिवम श्रीवास्तव (Shivam Srivastava) थे।
संगोष्ठी में शिवम श्रीवास्तव ने मॉडर्न फिलोसॉफी ऑफ साइंस, पैराडाइम शिफ्ट, पार्टनरशिप ऑफ साइंस एंड फिलोसॉफी, डेविड ह्यूम एण्ड द लूपहोल इन द साइंटिफिक मैथड पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि न्यूटन की थियरी जो ऑब्जेक्टिविटी और Universality पर फोकस करती है, वह कैसे आइंस्टीन तक आकर थियरी ऑफ रिलेटिविटी तक पहुंच जाती है और अंत में क्वांटम मैकेनिक्स पर आकर वह अनसर्टेनिटी को स्वीकार कर लेती है।
शिवम श्रीवास्तव ने बताया विज्ञान की सबसे कमजोर कड़ी Hume द्वारा उठाई गई आगमन की समस्या हैं, जिसपर प्रहार करते ही विज्ञान की नींव डगमगाने लगती है। अंत में उन्होंने वेरिफिकेशन एण्ड फॉलसीफिकेशन थ्योरी को चर्चा परिचर्चा के दौरान स्पष्ट किया।
संगोष्ठी का समापन विभागाध्यक्षा डॉ रजनी श्रीवास्तव ने वक्ता शिवम श्रीवास्तव को धन्यवाद ज्ञापित करके किया। इस दौरान विभाग के शिक्षक, शोध छात्र, अन्य प्रतिभागी उपस्थित रहे।