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ब्लॉकचेन तकनीक से डिजिटल बनेगी Lucknow University, प्रमाणपत्रों में धाँधली रोकने के लिए LU सख़्त  

लखनऊ। शैक्षिक प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता की जाँच के लिए मैनुअल पद्धति पर निर्भरता रहती हैं। एक बैकग्राउंड स्क्रीनिंग कंपनी, फर्स्ट एडवांटेज की रिपोर्ट के अनुसार इस समय 7,500 से अधिक ऐसे संगठन हैं जो रोजगार और शिक्षा से संबधित नकली प्रमाण पत्र प्रदान करने का अवैध कार्य करते हैं। शैक्षिक प्रमाणपत्रों में धोखाधड़ी में मुख्य रूप से पहचान संबधित मामले (विश्वविद्यालय प्रतिरूपण और छात्र प्रतिरूपण) और दस्तावेज़ों मे अन्य हेरफेर (जिसमे ग्रेड, अंक, विषय, नाम, समय अवधि मे मनमाफिक बदलाव करना इत्यादि) शामिल हैं।  विश्वविद्यालय और कंपनियों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

इसलिए, संभावित उम्मीदवारों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने और मान्य करने के लिए वे काफी राशि और समय भी खर्च कर रही हैं। इस कठिन समस्या से निपटने के लिए, कई विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और कंपनियों ने प्रमाणन के डिजिटल तरीकों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, लेकिन मौजूदा डिजिटल मॉडल मध्यस्थ विश्वसनीय तृतीय पक्षों के एक समूह पर आधारित है।

इस बारे में विस्तार से बात करते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. आलोक कुमार राय ने जानकारी दी कि हालाँकि, यह विधि पूर्ण प्रमाण नहीं है और धोखाधड़ी और दुर्भावनापूर्ण मामलों की संभावना रह जाती है। इसे देखते हुए एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली जो इस समस्या का समाधान दे सके, आज के समय की महती आवश्यकता है। डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र तकनीक आधारित ब्लॉकचेन शैक्षिक प्रमाणपत्रों को सत्यापित और मान्य करने के लिए एक प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है। नीति आयोग ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) और बिटग्राम के साथ साझेदारी के ज़रिए, शैक्षिक प्रमाणपत्रों के लिए एक लाइसेंस प्राप्त ब्लॉकचेन समाधान ‘सुपरसर्ट’ विकसित किया है। यह तकनीक बीटा परीक्षण के तहत है। IIT कानपुर भी कई ई-गवर्नेंस समाधान हेतु राष्ट्रीय ब्लॉकचेन परियोजना पर काम कर रहा है।

प्रो. राय के मुताबिक, अतीत में, लखनऊ विश्वविद्यालय ने शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जालसाजी और धोखाधड़ी के कई उदाहरण भी देखे हैं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए, लखनऊ विश्वविद्यालय ने आगामी शैक्षणिक सत्र में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी की मदद से एक केंद्रीकृत प्रणाली से विकेंद्रीकृत प्रणाली की ओर बढ़ने का निर्णय लिया है। यह ब्लॉकचेन समाधान एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा जहां प्रत्येक प्रमाणपत्र और प्रत्येक छात्र को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्रों के क्रिप्टोग्राफ़िक रूप से हैश या एन्क्रिप्टेड संस्करण ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे।ब्लॉकचेन की अपरिवर्तनीय विशेषता यह सुनिश्चित करेगी कि प्रमाणपत्रों की जालसाजी/छेड़छाड़ संभव नहीं है। इस ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पर न तो प्रमाणपत्र धारक की पहचान और न ही प्रमाणपत्र की सामग्री को संशोधित किया जा सकता है। प्रो. राय ने बताया कि इस ब्लॉकचेन-संचालित प्लेटफॉर्म की प्रमुख विशेषताओं में – डेटा गोपनीयता बढ़ाना, वास्तविक समय के सत्यापन और शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन, जालसाजी प्रतिरोध, और राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर इसके उपयोग की महत्ता शामिल हैं।

प्रो. राय के की जानकारी के अनुसार, लखनऊ विश्वविद्यालय बड़े पैमाने पर छात्रों, विश्वविद्यालय और समाज की बेहतरी के लिए भविष्य की तकनीकों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ना डिजिटल विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण की कल्पना की दिशा में एक और कदम है। उन्होंने बताया कि यहाॅ यह गौरतलब है कि लखनऊ विश्वविद्यालय इस प्रणाली को लागू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय होगा ।उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों के लिए यह नियमित एवं आवश्यक है कि वे प्रवेश की पुष्टि के लिए विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा सीधे एवं गोपनीय रूप से डिग्री प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय से मार्कशीट सत्यापित करवाएं। कुलपति ने कहा कि इस तरह की पहल से लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की न केवल विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि कदाचार की कम से कम संभावना के साथ सत्यापन मे कम से कम समय लगेगा ।

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