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वर्दीधारियों से घर का या निजी काम कराने वाले जेल अधिकारियों पर हो कार्रवाई, मद्रास हाईकोर्ट का निर्देश

चेन्नई:  मद्रास हाईकोर्ट वर्दीधारी कर्मचारियों से घरेलू काम कराने पर सख्त हो गई है। उसने सरकार के गृह, निषेध एवं आबकारी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि वे विस्तृत जांच करें। साथ ही उन जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश दिया, जो अपने आवासीय या व्यक्तिगत काम वर्दीधारी कर्मियों/लोक सेवकों से करवाते हैं।

अदालत ने कहा कि पुलिस की सीबीसीआईडी शाखा की सहायता से या खुफिया शाखा से आवश्यक जानकारी हासिल करके जांच की जा सकती है।

अगर मिला कोई ऐसा मामला तो…
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति एम जोतिरमन की खंडपीठ ने हाल ही मे दिए आदेश में कहा कि अगर इस तरह का कोई मामला सामने आया तो अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा उन सभी वर्दीधारी कर्मियों को वापस बुलाने और जेल नियमों एवं सरकारी आदेशों के अनुसार उन्हें जेल ड्यूटी पर तैनात करने के लिए उपयुक्त आदेश जारी किए जाएंगे। पीठ ने कहा कि यह काम अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा तीन सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाना था।

सुजाता की याचिका पर दिया अदालत ने आदेश
पीठ ने यह आदेश सुजाता की याचिका पर दिया, जिसमें अधिकारियों को उनके प्रतिवेदन पर विचार करने और फैसला करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। उनकी याचिका में कई शिकायतें थीं, जिनमें से एक यह थी कि अधिकारियों द्वारा वर्दीधारी कर्मचारियों को अपने निजी काम पर रखा जाता है।

‘पुलिस/जेल अधिकारी लोक सेवक हैं’
पीठ ने कहा कि यह याद दिलाना न्यायालय का कर्तव्य है कि पुलिस/जेल अधिकारी लोक सेवक हैं और उन्हें करदाताओं के पैसे से अच्छा वेतन दिया जाता है। सरकार द्वारा उनके सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रभावी काम को देखते हुए अन्य सुविधाएं भी दी गई हैं। इसलिए उनसे उम्मीद की जाती है कि वे अधिकारी पद का दुरुपयोग न करें। अगर वे ऐसा करते पाए गए तो अभियोजन और अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए तैयार रहें।

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