जैन धर्म के लोग महावीर के जन्मदिवस के रूप में महावारी जयंति का ये पर्व मनाते हैं. इस बार 6 अप्रैल को महावीर जयंति है. जैन धर्म का समुदाय इस पर्व को उत्सव के तौर पर मनाते हैं. बिहार के कुंडलपुर के राज परिवार में जन्में महावीर ने 30 साल की उम्र में ही अपना वैभव जीवन त्याग कर साधना का रास्ता अपना लिया था. उन्होंने 12 वर्षों तक साधना की इस दौरान उनकी जिंदगी में आए कष्टों का इतिहास है.
उन्होंने तप और ज्ञान से सभी की इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया था. इसलिए उन्हें महावीर नाम से पुकारा जाता है. उन्होंने लोगों के कल्याण और अभ्युदय के लिए धर्म-तीर्थ का प्रवर्तन किया.
भगवान महावीर का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा है. तभी उनके हर भक्तों को अहिंसा के साथ, सत्य, अचौर्य, बह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक होता है.
महावीर ने हमेशा जीवों से प्रेम और प्रकृति के नजदीक रहने को कहा है. उन्होंने कहा है कि यदि किसी को हमारी मदद की आवश्यकता है और हम उसकी मदद करने में सक्षम हैं फिर हम उसकी सहायता ना करें तो यह भी एक हिंसा माना जाता है.
भगवान महावीर ने अपने हर भक्त को अहिंसा के साथ, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना जरूरी बताया गया है. उन्होंने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका इन चार तीर्थों की स्थापना की. इसलिए वो तीर्थकर भी कहलाएं. उन्होंने सामाजिक विसंगतियों को दूर करने के लिए भारत की मिट्टी को चंदन बनाया है. उन्होंने जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर समाज के कल्याण की बात कही.