दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। शराब घोटाले के बाद अब सीबीआई ने ‘फीडबैक यूनिट’ (Feedback Unit) के जरिये जासूसी करने के मामले में भी गुरुवार को सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते फरवरी महीने में सीबीआई को इस मामले में मुकदमा दर्ज करने और जांच करने की मंजूरी दी थी।
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दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी ने आपराधिक षड्यंत्र, लोकसेवकों द्वारा आपराधिक रूप से भरोसा तोड़ने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगाते हुए विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में सिसोदिया के अलावा कई बड़े नाम शामिल हैं। इसमें तत्कालीन विजिलेंस सचिव सुकेश कुमार जैन (आईआरएस 1992), मुख्यमंत्री के स्पेशल एडवाइजर और एफबीयू के संयुक्त निदेशक राकेश कुमार सिन्हा, फीडबैक यूनिट के उप निदेशक प्रदीप कुमार पुंज, दिल्ली सरकार के फीडबैक ऑफिसर के रूप में कार्यरत रहे सतीश खेत्रपाल, मुख्यमंत्री के एंटी करप्शन एडवाइजर गोपाल मोहन के नाम शामिल हैं।
दिल्ली सरकार में विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत वर्ष 2015 में फीडबैक यूनिट (एफबीयू) का गठन किया गया था। इससे संबद्ध मंत्रालय का प्रभार उस वक्त मनीष सिसोदिया के पास ही था। आरोप लगाया गया कि एफबीयू ने फरवरी, 2016 से सितंबर, 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की। यह भी आरोप है कि इस यूनिट के जरिए न केवल भाजपा बल्कि आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं पर भी नजर रखी। यूनिट की 40 रिपोर्ट इन्हीं जानकारियों के बारे में थीं। इतना ही नहीं, यूनिट के गठन से पहले उपराज्यपाल से अनुमति भी नहीं ली गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को शुरुआती जांच में सबूत मिले कि एफबीयू ने राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा की। इसके बाद ही सीबीआई ने 12 जनवरी, 2023 को इस मामले में एक रिपोर्ट पेश की और उपराज्यपाल (एलजी) से भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की। दिल्ली के उपराज्यपाल की अनुशंसा के बाद गृह मंत्रालय ने सीबीआई को जांच की अनुमति दी थी।