बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को कहा कि शराबबंदी कानून गरीब -विरोधी है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए। मांझी के इस बयान से सीएम नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ गई है। इस बयान से बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज होने का अनुमान है ।
बताते चलें कि विधान सभा चुनाव में शराबबंदी कानून एक बड़ा मुद्दा बन गया है। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर इस कानून की समीक्षा की बात कही है। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान और राजद नेता तेजस्वी यादव इस कानून को लेकर लगातार सीएम नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं । इस बीच एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने मीडिया से बात करते हुए शराबबंदी कानून को गरीबों के खिलाफ बताया है । उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा की जरुरत है ।
मांझी ने अपने बयान में कहा कि ऐसे तो मैंने शराबबंदी का कभी विरोध नहीं किया है, लेकिन कानून के इम्प्लीमेंटेशन में निचले स्तर पर गड़बड़ी है। निचले स्तर पर सरकार की नजर नहीं जा रही है और सिर्फ गरीबों को पकड़ा जा रहा है। बड़े-बड़े तस्करों पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि सरकार बनेगी तो हम शराबबंदी में पकड़े गए गरीबों की मदद करेंगे और गरीबों पर हुए मुकदमे की समीक्षा करेंगे। मांझी ने कहा कि इसमें ज्यादातर ऐसे लोग पकड़े गए हैं जो सिर्फ शराब पी रहे थे। तस्करी करने वाले लोग नहीं पकड़े गए हैं। मुझे उम्मीद है सरकार की पहल से शराबबंदी में फंसाये गए लोग छूट जाएंगे।
बता दें कि 21 अक्टूबर को कांग्रेस ने अपनी पार्टी का मेनिफेस्टो जारी करते हुए नीतीश सरकार पर शराब माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। पार्टी ने एक आंकड़ा भी सामने रखा था, जिसमें कहा था कि एक अप्रैल 2016 से लेकर 31 अगस्त 2020 तक तीन लाख से अधिक लोग इस कानून के तहत गिरफ्तार हो चुके हैं। बिहार में कांग्रेस की सरकार बनी तो इस कानून की समीक्षा की जाएगी और निर्दोष लोगों को जेल से बाहर किया जाएगा।
हाल में ही लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे शराबबंदी के नाम पर बिहार के युवाओं को तस्कर बना रहे हैं।