जन-जन तक पहुंचाया जाय फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश – सीएमओ
फाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं, स्वयं को और अपने परिजनों को फाइलेरिया से बचाएं
सीफार के सहयोग से आयोजित हुई फाइलेरिया उन्मूलन सम्बन्धित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला
बांदा। मोडिया के जरिये सदुपयोगी सूचनाएं पहुंचने से लोगों का व्यवहार परिवर्तन होता है। जीवन के लिए बोझ का रूप लेने वाली फाइलेरिया जैसी बीमारी के उन्मूलन में मीडिया की अहम भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। सभी से यह अपेक्षा है कि संचार माध्यमों के जरिये जन-जन तक फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश पहुंचाएं। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कही। वह सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के संबंध में आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को बुधवार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि 10 से 28 फरवरी तक सामूहिक दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलने जा रहा है इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान में लोगों को फाइलेरिया रोग से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी,अल्बेंडाजोल व आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक खिलाई जाएगी। अभियान में पांच वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को आईवरमेक्टिन दवा सहित दो से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर, अपने सामने खिलाएंगे । यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, एक सप्ताह पूर्व मां बनी महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है ।दवा खाली पेट नहीं खानी है और इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है ताकि दवा की निर्धारित सही खुराक सभी को मिल सके।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डा. आरएन प्रसाद ने अभियान में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और जनसमुदाय से अपील की कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। घर के सभी पात्र व्यक्तियों को दवा अवश्य खिलाएं। दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डा. मुकेश पहाड़ी ने बताया जिले में हाथीपांव के 732 मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट बांटा जाना है जिसमें से 693 लोगों को किट बांटे जा चुके हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने बताया फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होता है। इसको सामान्यतः हाथीपांव भी कहते हैं । इसमें पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों में अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। मच्छर काटने के बाद व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण होने में 5 से 15 साल का समय लग जाता है। फाइलेरिया की यह दवा फाइलेरिया के परजीवियों को नष्ट देती है और लोगों को हाथीपांव व हाइड्रोसील जैसी बीमारियों से बचाती है। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। इनसे घबराना नहीं है और आम तौर पर यह स्वतः ठीक हो जाते हैं। अगर किसी को ज्यादा दिक्कत होती है तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लाक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।
पाथ संस्था के प्रोग्राम मैनेजर डा. रविराज सिंह ने पीपीटी के जरिये बताया कि जिले में 20.86 लाख की जनसंख्या को अभियान के दौरान दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए 1814 टीम बनाई गई हैं जिनके कार्यों का सहायक पर्यवेक्षण 300 सुपरवाइजर करेंगे। मीडिया की तरफ से आए एक सवाल के जवाब में उन्होंने दवा के कारण होने वाले समान्य प्रभावों के बारे में जानकारी दी और मार्बिडिटी मैनेजमेंट का तरीका बताया। सीफार संस्था के जिला समन्वयक अंकुर द्विवेदी ने बताया की फाइलेरिया रोगी समूह के माध्यम से खुद की आपबीती सुनाकर फाइलेरिया रोगी औरों को जागरूक कर दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। फाइलेरिया पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक असग़र अब्बास ने बीमारी की रोकथाम में सामुदायिक भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर फाइलेरिया से ग्रस्त एक रोगी ने भी अपना अनुभव साझा किया | इस अवसर पर समस्त उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित डीपीएम कुशल यादव, सीफार की टीम व अन्य स्वास्थकर्मी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।
मीडिया ने पूछे सवाल
कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने पूछा कि क्या फाइलेरिया की जांच की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। इसका जवाब देते हुए सीएमओ ने बताया कि रात में फाइलेरिया क्लिनिक में इसकी जांच होती है। इसके अलावा नाइट ब्लड सर्वे के दौरान भी बीमारी की जांच की जाती है। मीडिया ने फाइलेरिया के आयु वर्ग, स्थान विशेष आदि से जुड़े विभिन्न सवाल पूछे जिसके बारे में विस्तार से बताया गया।
रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर