होली का पर्व भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। वह सत्मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। अंततः आसुरी प्रवत्ति के हिरण्यकश्यप का अंत हुआ। रंगोत्सव पर योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर यात्रा आध्यात्मिक व राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही।
- Published by-@MrAnshulGaurav
- Wednesday, March 23, 2022
भारतीय संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की गई। इसके लिए सत्मार्ग पर चलने की आवश्यकता होती। इससे सहज मानवीय गुणों का विकास होता है। सद्भाव और सौहार्द की प्रेरणा मिलती है। इस मार्ग से विचलित होना अंततः कष्टप्रद होता है। इससे समाज का भी अहित होता है। भारत के उत्सवों में समाज कल्याण का भाव समाहित होता है। उल्लास के साथ साथ इसमें गंभीर सन्देश रहता है।
दीपावली का प्रसंग प्रभु श्री राम से जुड़ा है। लंका विजय कर वह अयोध्या पहुंचे थे। लोगों ने दीप प्रज्ववलित कर आनन्द मनाया था। सन्देश यह है कि अतिताई शक्तियों को अंततः पराजित होना पड़ता है। लाभ के साथ शुभ का होना भी आवश्यक है। सत्मार्ग पर चलते हुए ही लाभ अर्जित करना चाहिए। होली का पर्व भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। वह सत्मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। अंततः आसुरी प्रवत्ति के हिरण्यकश्यप का अंत हुआ।
रंगोत्सव पर योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर यात्रा आध्यात्मिक व राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही। अत्यधिक व्यस्तता के बाद भी वह विशेष अवसरों पर गोरक्षपीठ पहुंचने का समय निकालते है। यहां के विशेष अनुष्ठानों में सहभागी होते है। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में उनके निर्धारित दायित्व होते है। इनका वह श्रद्धाभाव से निर्वाह करते है।
होलिका दहन फिर रंगोत्सव के समय उन्होंने यहां परम्परागत पूजा अर्चना की। इस प्रकार महंत के रूप में आध्यात्मिक दायित्व का निर्वाह किया। इस बार का रंगोत्सव राजनीतिक रूप में भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को दूसरी बार सरकार बनाने का जनादेश मिला है। चार दशक बाद किसी पार्टी को यह अवसर मिला है। ऐसे में भाजपा का उत्साहित होना स्वभाविक है। दस मार्च को चुनाव परिणाम आये थे। उस दिन लखनऊ भाजपा मुख्यालय में होली मनाई गई थी। उसमें भी योगी आदित्यनाथ सम्मलित हुए थे। रंगोत्सव में सहभागी होने वह गोरखपुर गए थे। यहां घंटाघर से निकलने वाली पारंपरिक नरसिंह शोभायात्रा में सम्मलित हुए।
कोरोना कालखंड में दो वर्षों तक वह इस शोभायात्रा में शामिल नहीं हुए थे। इस बार उन्हें अवसर मिला। योगी अदित्यनाथ ने कहा कि होली भेदभाव रहित, समतामूलक समाज का प्रतीक है। उन्होंने हिरण्यकश्यप का प्रसंग सुनाया। कहा कि ईश्वरीय व राष्ट्र सत्ता को चुनौती देना तथा सामान्य नागरिकों की भावनाओं का निरादर करना ही हिरण्यकश्यप और होलिका की प्रवृत्ति है। लेकिन सामान्य जनमानस भक्त प्रह्लाद के रूप में अपनी राष्ट्र अराधना के मार्ग पर चलता है।
ऐसी परिस्थिति में भगवान नरसिंह उसके सहगामी बनाते हैं। वह प्रकट होते हैं और भक्त प्रह्लाद के विजय रथ को आगे बढ़ाते हैं। उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर राष्ट्रवाद और सुशासन की सरकार चुनी है। जनता की विजयश्री का यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। हमेशा कायम रहेगा। स्वाभाविक रूप से हर देशभक्त नागरिक के मन में अन्याय,अत्याचार, शोषण और अराजकता के खिलाफ लड़ने की इच्छा रखने वाले के मन में उमंग और उत्साह है।
भाजपा की जीत राष्ट्रवाद पर मुहर है। यह पर्व और त्योहार गोरखपुर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि आजादी के बाद पहली बार भाजपा ने यहां की नौ की नौ सीटें जीती हैं। राष्ट्रवाद की मुहर लगी है। लोगों ने गोरखपुर कमीश्नरी की अट्ठाइस में से सत्ताईस सीटें राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने के लिए दी है। योगी ने कहा होलिका हों या हिरण्यकश्यप किसी न किसी रूप में समाज के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।
इसी तरह किसी न किसी रूप में भक्त प्रह्लाद और भगवान नरसिंह भी उपस्थित रहे हैं। भले ही इनका रूप बदलता रहा है। यह पर्व और त्योहार हमें अच्छे मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं। भक्त प्रह्लाद अपनी बुआ का कहना मानकर भक्ति मार्ग से विचलित नहीं हुए। भक्त प्रह्लाद का स्मरण होली जैसे पावन पर्व पर करना चाहिए। भक्त प्रह्लाद प्रतिकूल परिस्थितियों व यातना के बाद भी सत्मार्ग विचलित नहीं हुए। यह होली का मूल सन्देश है।