नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं पर तीन तलाक पर सजा के प्रावधान को लेकर मोदी सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। सरकार महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए इस बिल को ला रही है।
विपक्षियों ने किया विरोध
बिल पेश होने के बाद आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी, नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी और बिहार में लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने इस बिल का विरोध किया है।
वहीं कांग्रेस के साथ अन्य पार्टियों ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस बिल पर कोई संशोधन नहीं लाएगी।
तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, सुषमा स्वराज, जितेंद्र सिंह और पीपी चौधरी शामिल थे।
कांग्रेस ने किया समर्थन
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में बुधवार देर रात इस मुद्दे पर बैठक की गई। सूत्रों के अनुसार बैठक में तीन तलाक बिल के पक्ष में कांग्रेस दिखाई पड़ी। लोकसभा में कांग्रेस ने बिल के समर्थन में अपना पक्ष रखा है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बिल का किया विरोध
तीन तलाक बिल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने महिला विरोधी कहा है। उसने रविवार को लखनऊ में इस संबंध में पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक की।
जिसमें तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल को खारिज करने का निर्णय लिया। इतना ही नहीं ट्रिपल तलाक पर लाए जा रहे इस बिल को बोर्ड ने महिला विरोधी बताते हुए बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बिल में तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया। मीटिंग में तीन तलाक पर कानून को महिलाओं की आजादी में दखल देने वाला बताया है।
कैसा है बिल?
मोदी सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक को ला रही है। ये कानून सिर्फ तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत पर ही लागू होगा।
इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वह गैर-कानूनी माना जायेगा। इसके साथ किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक वह चाहे मौखिक, लिखित या मैसेज में है वह अवैध माना जायेगा।
इस प्रकार से जो भी तीन तलाक देगा, उसे तीन साल की सजा और जुर्माना दिया जा सकता है। यानि तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा। जिसमें मजिस्ट्रेट यह तय करेगा कि कितना जुर्माना तय किया जाये।
पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। यह कानून जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा।