सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले (एमएसएमई) उद्योगों ने बजट में वित्त मंत्री से राहत देने की अपील की है। इनकी मांग है कि प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर संस्थागत कर्ज की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। इसके लिए विशेष पैकेज दिया जाए, ताकि छोटे उद्योग पांच लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी बनाने में प्रमुख भूमिका निभा सकें।
सीआईआई दिल्ली के अध्यक्ष पुनीत कौरा ने कहा, एमएसएमई क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में से एक प्रतिस्पर्धी लागत पर समय पर कर्ज की उपलब्धता है। हम चाहते हैं कि अंतरिम बजट में एक विशेष पैकेज लाया जाए, ताकि छोटी और मझोली कंपनियों को कर्ज पाने में परेशानी न हो। यह क्षेत्र सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, रक्षा और चिकित्सा उपकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी भारत की क्षमताओं को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। डेलॉय ने कहा, एमएसएमई के लिए पूंजी प्रवाह में जोखिम घटाने की जरूरत है। सिर्फ 6 फीसदी एमएसएमई ही ई-कॉमर्स मंचों पर उत्पाद बेचते हैं। डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए छोटे उद्योगों को मजबूत करने की जरूरत है।
बैंकों और एमएसएमई के बीच बेहतर हो संबंध
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एवं स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज (फिस्मे) ने कहा, बैंकों और एमएसएमई के बीच संबंध सही नहीं हैं। मामला काफी हद तक बैंकों के पक्ष में है। बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का अभाव है, क्योंकि 75 फीसदी बैंक सरकारी हैं। साथ ही, कमजोर नियामक बैंकों की ग्राहक केंद्रित सुविधाओं को सुनिश्चित करने में सफल नहीं हो रहा है। शिकायत निवारण तंत्र (बैंकिंग लोकपाल) भी निष्क्रिय है। निजी बैंक हों या सरकारी, दोनों एमएसएमई के लिए अच्छा काम नहीं कर पा रहे हैं।
राजकोषीय घाटा : 5.3% का लक्ष्य मुमकिन
सरकार एक फरवरी को पेश होने वाले 2024-25 के अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.3 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रख सकती हैं। बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज ने कहा, सरकार 2023-24 में राजकोषीय घाटे को 5.9 फीसदी पर लाने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने में सफल रहेगी। 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। बोफा सिक्योरिटीज ने नए वित्त वर्ष में विनिवेश आय में मामूली वृद्धि की संभावना जताई है। साथ ही कहा, राजस्व प्राप्तियां 10.5 फीसदी की वृद्धि के साथ 30.4 लाख करोड़ रुपये रह सकती हैं।
निर्यात में 45.56 फीसदी योगदान
2023-24 में सितंबर तक देश के निर्यात में एमएसएमई के उत्पादों की 45.56 फीसदी हिस्सेदारी रही। यह 2022-23 में 43.59 फीसदी रही थी। देश की जीडीपी में सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) का योगदान 2021-22 में 29.15 फीसदी रहा। उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, पिछले साल 8 दिसंबर तक 15.55 करोड़ कर्मचारी एमएसएमई में काम कर रहे थे।