काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में देशभर से पधारे कलाकारों के स्वागत और सम्मान के साथ आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय प्राधौगिकि संस्थान, बीएचयू के निदेशक अमित पात्रा ने कहा कि यह कार्यक्रम इस विश्वविद्यालय में नई परंपरा शुरू करेगा और यहां के विद्यार्थियों को समकालीन कला की मुख्य धारा से जुड़ने का जो एक विशेष अवसर प्राप्त हुआ है और यह दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख तथा इस कार्यशाला की संयोजक आचार्य उत्तमा की रचनात्मकता और दूरदृष्टि के कारण संभव हो सका है।
मुख्य अतिथि निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक ने रवींद्रनाथ टैगोर की कविता के माध्यम से कला को जोड़ते हुए इस वर्कशॉप की महत्व के बारे में उन्होंने प्रकाश डाला। आचार्य उत्तमा ने पधारे समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला में आए कलाकार अपने-अपने क्षेत्र के सिद्धहस्त और ख्यात कलाकार हैं। ये सभी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आमंत्रण को स्वीकार कर अब इस परिवार का हिस्सा बन चुके हैं और इनके सान्निध्य से यहां के विद्यार्थियों का फलक व्यापक होगा। आचार्य उत्तमा दीक्षित, आचार्य मनीष अरोड़ा और आचार्य ब्रह्म स्वरूप ने पधारे अतिथियों प्रो अमित पात्रा, भारतीय प्राधौगिकि संस्थान के खनन अभियांत्रिकि के प्रो संजय कुमार शर्मा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य आरक्षाधिकारी प्रो शिव प्रकाश सिंह, दृश्य कला संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रोफेसर रविंद्र नाथ मिश्र, कला इतिहास विभाग के आचार्य प्रदोष मिश्र, डॉ अरविंद शुक्ला, डॉ अमित पांडे, डॉ अवधेश दीक्षित को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया साथ ही साथ आचार्य अमित पात्रा और आचार्य संजय कुमार शर्मा ने आमंत्रित कलाकारों प्रो हेमंत द्विवेदी (राजस्थान), कुमार विकास सक्सेना (नई दिल्ली), लक्ष्मण एले (तेलंगाना), असित कुमार पटनायक, (उड़ीसा), अरविंद हरीकृष्ण सुथार, (गुजरात), प्रो राम विरंजन, (सहारनपुर), प्रो अवधेश मिश्रा, (लखनऊ), डॉ ओमप्रकाश गुप्ता, (लखनऊ), प्रो विजय सिंह (बनारस) का स्वागत और सम्मान करते हुए यहां इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आभार प्रकट किया।
भारत अध्ययन केंद्र के प्रमुख आचार्य सदाशिव कुमार द्विवेदी ने अपनी विद्वतापूर्ण व ओजस्वी वेद मंत्रोच्चार के माध्यम से उन्होंने काशी की आध्यात्मिकता तथा महत्ता को कला के आज के प्रासंगिकता व विशेषता के बारे में बताया। उन्होंने काशी की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वैराग्य और अध्यात्म की ही नगरी नहीं है बल्कि यह संदेश देती है कि यहां पुरुषार्थ के माध्यम से सब कुछ अर्जित करना है पर लिप्त नहीं होना है। यही इस काशी का संदेश और विशेषता है। कला का रास्ता ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जो सारी भौतिक वस्तुओं को में सौंदर्य प्रदान करता है। यह शक्ति, सामर्थ्य और अभ्यास का विषय है, जो मनुष्य को एक विशिष्ट दृष्टि देता है।
आचार्य शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो विज्ञान नहीं देख पाता, उसे कलाकार समय से भी पहले देख लेता है। हम कह सकते हैं कि जिधर कलाएं चलती हैं, समाज उधर ही चलता है। इसलिए कलाकारों पर बहुत जिम्मेदारी है कि वह अपनी साधना और अभ्यास से समाज का पथ प्रदर्शन करते रहें। डॉ संजय शर्मा ने कला को हर क्षेत्र के लिए विज्ञान से जोड़ते हुए इसके उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य आरक्षाधिकारी प्रो शिव प्रकाश सिंह ने काशी के सौंदर्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देव दीपावली से लेकर अनेक पर्व और स्नान आदि ही इसके सौंदर्य नहीं है, इसके निहितार्थ और इससे परे भी देख पाना इसका सौंदर्य है, जो कलाकार ही कर सकता है। प्रख्यात स्तंभकार डॉ अवधेश दीक्षित ने कहा कि मौन साधना के साथ सार्थक अभिव्यक्ति ही कला है और भाषा का पूर्वज चित्र ही है जिसकी गोद से लिपियां और भाषा उतपन्न हुई है। चित्र ही मनुष्य को मुखर बनाता है। हम कह सकते हैं कि कला प्रौद्योगिकी और विज्ञान का सम्मिलन है।
संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख आचार्य रवीन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि यह कार्यशाला पूरे परिवार को जोड़कर एक स्वर में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का एक आगाज है। हमें कला की ऊर्जा को व्यावहारिक रूप में स्थापित करते हुए युवा कलाकारों को एक दिशा देनी है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आए हुए कलाकारों के माध्यम से संभव होगी। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए उन्होंने संकाय प्रमुख के साथ-साथ सभी अतिथियों व छात्र छात्रों को शुभकामनाएं दी। शिवोस्तुति के साथ आचार्य उत्तमा दीक्षित, संकाय प्रमुख, दृश्य कला संकाय ने आए हुए अतिथियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम में उपलब्ध कैनवास पर सभी कलाकारों और अतिथियों के हस्ताक्षर से कार्यशाला का शुभारंभ किया। यह कार्यशाला 2 फरवरी 2025 तक विश्वविद्यालय की कार्यावधि में चलेगा जिसे विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थी एवं नगर के कलाप्रेमी देख सकते हैं। कलाकारों से संवाद कर सकते हैं और उनकी कला की विशेषता को सीख सकते हैं।
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इस अवसर पर संकाय के आचार्य जसमिंदर कौर, डॉ शांति स्वरूप सिन्हा, डॉ ललित मोहन सोनी, केo सुरेश कुमार, डॉ किरण गुप्ता, विजय भगत, डॉ आशीष कुमार गुप्ता, डॉ सुनील कुमार पटेल, कृष्ण कुमार, ज्ञानेंद्र कन्नौजिया, डॉ राजीव मंडल, डॉ अमरेश कुमार, साहिब राम टुडू, सृष्टि प्रजापति आदि उपस्थित रहे। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन डॉ सुरेश चंद्र जांगिड़ द्वारा किया गया।