कोरोना के कारण देश की इकोनॉमी का बुरा हाल तो है ही, करेंसी की भी हालत पतली हो चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में एशियन करेंसी में रुपये की हालत सबसे खराब रही है. साल 2020 के पूरा होने में महज एक सप्ताह का वक्त रह गया है. ऐसे में यह लगातार तीसरा साल होगा जब डॉलर के मुकाबले रुपये के परफॉर्मेंस में गिरावट दर्ज की जाएगी.
रुपये में जारी गिरावट को लेकर बाजार के जानकारों का कहना है कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर रही हैं. इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बड़े पैमाने पर डॉलर जमा किया है. इस समय देश का विदेशी मुद्रा भंडार ऑल टाइम हाई पर है. 18 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 578 अरब डॉलर था. 22 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले रुपये का 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर 70.80 और निम्नतम स्तर 76.87 था.
RBI ने रुपये को रखा कमजोर
जानकारों का यह भी कहना है कि रिजर्व बैंक जान बूझकर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में उछाल को रोक रहा है. ऐसा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. यही वजह है कि अमेरिका ने भारत को करेंसी मैनिपुलेटर घोषित किया है. अमेरिका की लिस्ट में भारत के अलावा चीन और वियतनाम समेत कुल 8 देश शामिल हैं.
बड़े पैमाने पर आया निवेश
दूसरी तरफ कोरोना संकट के बावजूद साल 2020 में बड़े पैमाने पर निवेश आया है. विदेशी निवेशक भारतीय बाजार पर मेहरबान रहे हैं जिसके कारण शेयर बाजार 46 हजार के स्तर तक को पार कर चुका है. फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने इस साल अब तक 50 अरब डॉलर का निवेश किया है. इसमें FDI के जरिए आने वाला निवेश भी शामिल है. विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 17.7 अरब डॉलर का निवेश किया है. हालांकि डेट मार्केट से उन्होंने 14.5 अरब डॉलर निकाले भी हैं.
कैसा रहेगा 2021 में प्रदर्शन
अब जब साल 2020 समाप्त हो रहा है, अगले साल रुपये की चाल क्या होगी यह अहम है. कई ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि साल 2021 में रुपया डॉलर के मुकाबले 71-76 के रेंज में ट्रेड करेगा. अमेरिकी कांग्रेस ने 900 अरब डॉलर के नए राहत पैकेज को मंजूरी दी है. इसका असर साफ-साफ दिखाई देगा.