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Navayug Kanya Mahavidyalaya: साहित्य में लोकभाषा का महत्व’ विषयक व्याख्यान का आयोजन

रमई काका एवं चंद्रभूषण आदि कवियों की भाषा में ध्वन्यात्मकता महत्वपूर्ण है : प्रोफेसर रेखा

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय (Navayug Kanya Mahavidyalaya) राजेंद्र नगर एवं भाषा संस्थान उत्तर प्रदेश (Bhasha Sansthan, Uttar Pradesh) के संयुक्त तत्वावधान में ‘साहित्य में लोकभाषा का महत्व’ (Importance of Folk Language in Literature) विषयक व्याख्यान (Lecture) का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय (Principal Professor Manjula Upadhyay) की अध्यक्षता में किया गया।

व्याख्यान का प्रारंभ करते हुए भाषा संस्थान की प्रतिनिधि डॉ रश्मि शील (Dr Rashmi Sheel) ने लोकभाषा को साहित्य का प्राणतत्व बताते हुए कहा कि यह भाषा जन -जन के हृदय को स्पर्श करती है, भाषा तो प्रवाहित होता हुआ नीर है।

विशिष्ट वक्ता हिंदी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ राहुल पांडेय जी ने कहा कि लोकभाषा किसी सांस्कृतिक समूह द्वारा बोली जाती है। हजारी प्रसाद द्विवेदी के कथन का उद्धरण देते हुए मध्ययुग के संपूर्ण साहित्य को लोकसाहित्य के रुप में प्रस्थापित किया। तुलसी, सूरदास और कबीर की रचनाओं से उनके द्वारा अधिकांश उदाहरण दिया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक युग में भारतेंदु निजभाषा के पक्षधर रहें। साहित्यकार लोकसंवेदना से परिपूर्ण होता है तथा वह लोक से शब्दावली चुनकर लाता है।

मुख्य वक्ता प्रो रेखा गुप्ता ने साहित्य के विभिन्न संदर्भों को देते हुए कहा कि लोकभाषा और देशज भाषा लोक प्रवृत्ति के अनुरूप है। देशज शब्दों को लोक की निजी संपत्ति माना। रमई काका तथा चंद्रभूषण आदि कवियों की कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी भाषा में ध्वन्यात्मकता महत्वपूर्ण है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने कहा कि लोकभाषा समाज का आधार है। गोस्वामी तुलसीदास विरचित रामचरित मानस अवधी लोक भाषा में होने के कारण अनद्यतन घर-घर में सदैव लोकप्रिय रहा है।

व्याख्यान का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्रम् एवं पर्यावरण का प्रतीक पौध देकर किया गया। इस दौरान डॉ अपूर्वा अवस्थी, डॉ अंकिता पांडे, डॉ मेघना यादव आदि उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो मंजुला यादव द्वारा दिया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की सभी संकायों की सम्मानित प्रवक्ताएं, छात्राएं एवं पत्रकार व समाज सेवी उपस्थित रहे।

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