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ओली राज में सील हुआ नेपाल बार्डर, देउबा सरकार ने खोला

संजय सक्सेना
     संजय सक्सेना

नेपाल में कम्युनिष्ट सोच और चीन की करीबी माने जाने वाली ओली की सरकार के जाने और शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने का असर नेपाल-भारत के साथ रिश्तों में दिखने लगा है। शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नई सरकार का झुकाव चीन की बजाए भारत की तरफ होने से यह बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी बदलाव का असर है कि पूर्ववर्ती नेपाल सरकार द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में जो बार्डर सील कर दिए गए थे,उसे अब खोला जाने लगा है।

इसी क्रम में नेपाल सरकार ने लगभग डेढ़ साल से बंद चल रही उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर से सटी भारत-सीमा को खोलने का निर्णय लिया है। 21 सितंबर को नेपाल कैबिनेट की बैठक में इस निर्णय पर मुहर भी लग गई हैैं।  हालांकि, नेपाल सरकार ने सीमा खोलने की तिथि तय नहीं की है,लेकिन माना यही जा रहा है कि इसी माह दोनों देशों के बीच सामान्य आवागमन शुरू हो जाएगा। सीमा कब से खोली जाएगी,इसकी फैसला नेपाल की राज्य सरकारों को करना है। नेपाल सरकार की कैबिनेट के फैसले से दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों के लोग उत्साहित हैैं,जो बेसब्री से सीमा खुलने का इंतजार कर रहे हैैं। बार्डर खुलने से न केवल लोगों को आने-जाने को मिलेगा,बल्कि इसका असर व्यापार पर भी पड़ेगा।
बहरहाल, यह उम्मीद पहले से ही जताई जा रही थी कि  शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-नेपाल के बीच कई समस्याओं का समाधान जल्द हो जाएगा है। इनमें दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद के अलावा पंचेश्वर बांध की डीपीआर आदि के मसल भी अहम होंगे।
पिछले कुछ वर्षों में भारत-नेपाल के बीच राजनैतिक संबंधों में खटास आ गई थी। हालांकि दोनों देशों के नागरिकों के बीच रोटी-बेटी के संबंधों में कोई अंतर नहीं आया था। पीएम ओली के कार्यकाल में करीब डेढ़ साल पहले लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के नक्शे का विवाद खूब गहराया था।ओली ने प्रभु राम का जन्म नेपाल में होने का दावा करके भी भारत-नेपाल की साझा संस्कृति को नुकसान पहुंचाया था। ओली के चलते ही नेपाल-भारत सीमा  में कई स्थानों पर भी सीमा विवाद के मसले सामने आए थे। इसके अलावा सीमा विवाद और संशाधनों के बंटवारे को लेकर नेपाल साइट ने पंचेश्वर बांध की डीपीआर पर भी तमाम आपत्तियां दर्ज कर दी थी।

तब से ये मामले जस के तस बने हुए हैं,लेकिन अब कांग्रेस के आला नेता शेर बहादुर देउबा के नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के बीच चल रहे विवादों के निस्तारण की उम्मीद भी लोग लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा चम्पावत जिले से सटे नेपाल के डंडेलधुरा के निवासी हैं। पंचेश्वर बांध का निर्माण उनके जिले के करीब ही होना है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अब पीएम देउबा पंचेश्वर बांध निर्माण के लिए दोनों देशों के बीच वार्ता को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।

शेर बहादुर देउबा के पीएम बनने से भारत-नेपाल के बीच चल रहे विवादों के निस्तारण की उम्मीद है। इनमें सीमा विवाद के निस्तारण, पंचेश्वर बांध के साथ ही फोरलेन सड़क, ड्राइपोर्ट आदि निर्माण भी तेजी पकड़ेंगे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए नेपाल सरकार ने 22 मार्च, 2020 से भारत सीमा से आवागमन पर पाबंदी लगा रखी है। केवल मालवाहक वाहनों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। पर्यटकों पर भी पाबंदी है। जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की आवश्यकता है, वह अनुमति लेकर आ-जा सकते हैैं।

सीमा खुलने से आवागमन सामान्य हो जाएगा, हालांकि वहां के अधिकारियों को आदेश का इंतजार है। बार्डर खुलने की सूचना पर सीमावर्ती क्षेत्र के लोग खुशियां मना रहे हैं। बार्डर पर तैनात अधिकारियों का कहना है कि अभी मालवाहक वाहनों के प्रवेश की ही अनुमति है। सीमा खोलने का आदेश आने पर उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

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