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निर्भया केस: अक्षय कुमार की क्यूरेटिव याचिका खारिज, अब इस आधार पर दोषियों ने की फांसी पर रोक लगाने की मांग

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों के वकील ने दोषियों को एक फरवरी को दी जाने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं। निर्भया के दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन के वकील एपी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट में इनकी फांसी पर रोक लगाने की याचिका डालते हुए कहा है कि दिल्ली कैद नियमों के अनुसार किसी जुर्म में अगर एक से ज्यादा दोषी हैं तो सभी को एक साथ ही फांसी होगी। उन्होंने कहा कि नियम कहता है कि अगर किसी अपराध में एक से अधिक दोषी हों तो जब तक सभी के ऊपर से हर तरह के कानूनी मामले खत्म नहीं हो जाते किसी एक दोषी को अकेले फांसी नहीं दी जा सकती। यह तर्क देते हुए एपी सिंह ने कहा कि इस तरह से 1 फरवरी को चारों दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती तो फांसी पर रोक लगाई जाए।

अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज

उधर, निर्भया के दोषी अक्षय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। अदालत ने उसकी क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही अक्षय की फांसी से दूरी और कम हो गई है। दोषी अक्षय कुमार ठाकुर द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटिशन में कहा गया था कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर जन दबाव और जनता की राय के चलते अदालतें सभी समस्याओं के समाधान के रूप में फांसी की सजा सुना रही हैं। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमती और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई की। बता दें कि क्यूरेटिव पिटिशन किसी दोषी के पास अदालत में अंतिम कानूनी उपाय है।

बता दें कि 23 वर्षीय निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।

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