समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में जैसा अन्याय देश के अन्नदाता किसान के साथ आजाद भारत में कभी नहीं हुआ। लगातार एक पखवाड़े से खुले आसमान के नीचे ठण्ड में कांपते किसान सरकार से अपनी व्यथाकथा बताने को सड़क पर हैं, लेकिन सरकार है कि उसके कान में जूं ही नहीं रेंग रही है। अपने मन की बात देश को जबरन सुनाने वाले किसान की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है।
किसान आंदोलन भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनः स्थापना का भी आंदोलन है कि सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए, सरकार की मनमानी नहीं। किसानों को सरकार के जिन फैसलों से दुश्वारी है उनको समाप्त करने की मांग में अनुचित क्या है? सरकार जनता के लिए जनता द्वारा चुनी जाती है। देश की सबसे बड़ी पंचायत में जनमत की अवहेलना लोकतंत्र और संविधान की मूलभावना से ही खिलवाड़ है।
भाजपा सरकार की हठधर्मी के कारण ही भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक भी आज किसान आंदोलन के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है। भाजपा हताश है क्योंकि किसानों के साथ जनता भी जुड़ती जा रही है। ‘किसान संग अवाम है हर नर-नारी और नौजवान, दम्भी सत्ता के खिलाफ एकजुट है पूरा हिन्दुस्तान‘।
वैसे यह तथ्य तो अब जगजाहिर है कि भाजपा का एजेण्डा ही लोगों को झांसा देना है। सत्ता में आने के लिए उसने किसानों को कर्ज माफी, फसल की लागत का ड्योढ़ा दाम देने और सन 2022 तक आय दुगनी करने का राग अलापा पर किया क्या? भाजपा सरकार ग्रामोफोन की अटकी सुई की तरह है, जनहित के कामों में उसकी रूचि नहीं। सच्चाई से उसका दूर-दूर तक रिश्ता नहीं है। वह तो कल्पना लोक में महल बनाती है और सपने दिखाकर लूटने का काम करती है।