Breaking News

अब दुनिया के सामने ‘Hybrid’ कोरोनावायरस का रिस्क, जानिए कितना खतरनाक है ये?

एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि अब हाइब्रिड कोरोना वायरस फैल रहा है. ये दो नए कोरोनावायरस के वैरिएंट्स से मिलकर बना है. ये इंसानों से इंसानों में फैल रहा है. जॉर्जिया के अटलांटा स्थित एमोरी यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट डेव वैनइंसबर्ग ने ये खुलासा किया है. उनका कहना है कि ये कोरोना वायरस का इवोल्यूशनरी बदलाव है. चिंता की बात ये है कि वैज्ञानिकों को ये नहीं पता कि हाइब्रिड कोरोना वायरस किस इंसान को कितना नुकसान पहुंचाएगा. इसपर नए वैक्सीन काम करेंगे कि नहीं, ये भी नहीं पता है.

डेव वैनइंसबर्ग ने कहा कि हमें नहीं पता कि हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) कैसे फैल रहा है. लेकिन दो नए अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है. हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) का पहला खुलासा करीब एक महीने हुआ था. तब यूके और कैलिफोर्निया के वैरिएंट्स आपस में मिलकर नया हाइब्रिड कोरोनावायरस बना चुके थे.

यूके का B.1.1.7 और कैलिफोर्निया का B.1.429 वैरिएंट आपस में मिलकर हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) बना रहे हैं. अमेरिका के लॉस एजेंल्स में हाइब्रिड कोरोनावायरस की ही लहर चल रही है. इसमें कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए हैं जो कुछ एंटीबॉडीज को भी निष्क्रिय कर दे रहे हैं.

यूके और कैलिफोर्निया के कोरोना वैरिएंट्स बेहद संक्रामक हैं. इनकी वजह से कई देशों में फिर कोरोना की लहर आ चुकी है. ऐसे में इनसे बनने वाले हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) का असर ज्यादा भयावह होगा. एक महीने पहले हाइब्रिड कोरोना वायरस की खोज न्यू मेक्सिको के लॉस एलमोस नेशनल लेबोरेटरी के साइंटिस्ट बेट्टी कोर्बर (Bette Korber) ने की थी.

बेट्टी कोर्बर ने इसके बारे में 2 फरवरी को न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज में इसका प्रेजेंटेशन दिया था. यहीं से उन्होंने पूरी दुनिया को हाइब्रिड कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को पहली बार बताया था. साइंटिस्ट्स इस हाइब्रिड कोरोना वायरस को रीकॉम्बिनेंट्स (Recombinants) कह रहे हैं.

रीकॉम्बिनेंट्स (Recombinants) यानी हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) बहुत तेजी से म्यूटेशन कर रहा है. ये एक बार में कई तरह के म्यूटेशन भी करने में सक्षम है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट फ्रांस्वा बैलॉक्स कहते हैं कि ये कोरोना वायरस का इवोल्यूशनरी बदलाव है. ये बदलाव ज्यादा खतरनाक कोरोनावायरस को जन्म दे रहा है. ये इंसानों के लिए ज्यादा घातक है.

कोरोना वायरस में रीकॉम्बिनेशन एक सामान्य प्रक्रिया है. इसमें वो एंजाइम जो जीनोम को कई एक जैसे हिस्सों में बदलता है, वह RNA के स्ट्रैंड से अलग हो जाता है. अलग होने के बाद वह ज्यादा खतरनाक स्ट्रेन या वैरिएंट बना लेता है. अगर RNA को शामिल करके म्यूटेशन हो तो वह पुराने वाले कोरोनावायरस की तरह ही रहेगा. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. कोरोनावायरस प्रोटीन स्पाइक को बदल चुका है. इसकी वजह से इस पर वैक्सीन और कुछ एंटीबॉडीज का असर कम हो रहा है.

फ्रांस्वा बैलॉक्स कहते हैं कि कोई भी शख्स एक ही समय में दो तरह के कोरोनावायरस से भी संक्रमित हो सकता है. ऐसे में दोनों कोरोनावायरस उस इंसान के शरीर में आपस में म्यूटेशन करके नया हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) बना सकते हैं. ऐसी स्थिति में उस इंसान में कोरोना वायरस के नए लक्षण देखने को मिल सकते हैं.

इसके अलावा हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) किसी अन्य शख्स को भी संक्रमित कर सकता है. ऐसे में अगर उसके शरीर में कोई और कोरोनावायरस का संक्रमण होता है तो हाइब्रिड कोरोनावायरस उसके साथ मिलकर नया रीकॉम्बिनेंट्स बना सकता है. यानी एक और हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) विकसित हो सकता है.

इन सभी साइंसटिस्ट्स को आशंका है कि हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) इंसानों के लिए ज्यादा संक्रामक और खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन ये कितना खतरनाक होगा…ये बता पाना फिलहाल संभव नहीं है. हालांकि, दुनिया भर के साइंटिस्ट्स इस बात के प्रयास में लगे हैं कि हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) की जीनोम सिक्वेंसिंग करके उसे निष्क्रिय या कमजोर करने का क्या इलाज हो सकता है.

About Ankit Singh

Check Also

इन कारणों से हो सकता है अस्थमा का अटैक, डॉक्टर ने बताए बचाव के जरूरी उपाय

अस्थमा, वायुमार्ग और फेफड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है। भारत सहित दुनिया के कई ...