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32 स्कूलों में होगा फाइलेरिया ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का काम

अरवल। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला में फाइलेरिया के प्रसार की जांच करने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का काम किया जायेगा. यह सर्वे 15 नवंबर से प्रारंभ होगा. इसके लिए सभी पांच प्रखंडों के चयनित 32 स्कूल शामिल किये गये हैं. ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे में विशेष रूप से बच्चे शामिल होंगे.

ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे के लिए सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार की अध्यक्षता में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण में 32 स्कूलों के सभी प्रधानाध्यापक तथा जांच के लिए पांच सदस्यी टीम के सदस्य शामिल हुए. इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ राजेश कुमार, पीसीआई से सत्यप्रकाश तथा डीबीडीओ कंस्लटेंट मनोज कुमार मौजूद रहे.

ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे में 32 स्कूल शामिल: सिविल सर्जन ने बताया कि 15 नवंबर से सभी पांच प्रखंडों के चयनित 32 स्कूलों में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का काम प्रारंभ होगा. इस सर्वे में चिन्हित 1557 बच्चे शामिल होंगे.. ये बच्चे कक्षा एक तथा दो के होंगे. इस बच्चों की रक्त की जांच कर फाइलेरिया परजीवी के मौजूदगी का पता लगाया जायेगा. इस सर्वे के लिए सभी 32 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को जरूरी ट्रेनिंग दी गयी है.

वहीं कई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने सर्वे से पूर्व अभिभावकों की मीटिंग भी बुलायी है जिसमें अभिभावकों के फाइलेरिया संक्रमण से बचाव और प्रसार दर के बारे में आवश्यक जानकारी दी जा सके तथा चिन्हित बच्चों के रक्त जांच में उनसे सहमति प्राप्त किया जा सके. उन्होंने इस कार्य में अभिभावकों की सहभागिता की अपील की ताकि जिला को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके.

पीसीआई अभिभावकों का कर रहे संवेदीकरण: डीवीबीडीओ कंस्लटेंट ने बताया फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए खून की जांच और सर्वे से संबंधित माइक्रोप्लान तैयार किया गया है. वहीं पीसीआई द्वारा मोबिलाजेशन का काम किया जा रहा है ताकि इस सर्वे में अधिक से अधिक बच्चों को शामिल कर उनके रक्त की जांच की जा सके. अभिभावकों को सेंसिटाइज कर इस काम में उनकी जरूरी सहभागिता की अपील की गयी है. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के बाद यह सर्वे किया जाना आवश्यक है. यह​ प्रक्रिया भारत सरकार तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टैंडर्ड टास्क प्रोटोकॉल के अंतर्गत पूरी की जायेगी. जांच में स्कूल के पहली व दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले छह से सात वर्ष आयुवर्ग के बच्चों को शामिल किया जायेगा.

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