Breaking News

टीबी के एमडीआर रोगियों को अब इंजेक्शन से मिली निज़ात, जिले में इस समय 73 एमडीआर मरीज

औरैया। एक बार टीबी का उपचार शुरू करने के बाद बीच दवा छोड़ने पर होने वाली मल्टी ड्रग रे‌जिस्टेंट टीबी (एमडीआर) के मरीजों को भी अब चार माह तक लगातार इंजेक्शन लगवाने की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। इंजेक्शन के स्थान पर मरीज को नौ से 11 माह तक ओरल दवा खानी पड़ेगी। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. अशोक राय ने बताया एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से असहनीय पीड़ा होती थी, इसलिए अब खाने वाली दवा से ही उपचार शुरू करने की तैयारी है। यह बातें एमडीआर टीबी से ग्रसित मरीज को दवा देते समय जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक राय ने कहीं।

डॉ. राय ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को अब तक लगातार चार माह तक कैनामाइसीन के इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, यह काफी पीड़ादायक होता है। इसके साथ 24 से 11 माह तक ओरल उपचार देना होता था। अब इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के सभी मरीजों को शार्टर ओरल वीडाकुलीन दी जाएगी। नौ से 11 माह‌ तक दवा खाने के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगा। पहले यह दवा केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों को दी जाती थी।

इंजेक्शन आधारित उपचार को बंद किया जाएगा

डॉ राय ने बताया कि केवल वह रोगी जिनका पहले से इंजेक्शन का कोर्स चल रहा है। पहले की तरह उनका इलाज इंजेक्शन कंटेनिंग रेजीमेन से ही जारी रखा जाएगा। नए कोर्स के लिए सभी दवाएं आ गई हैं, किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। जिले में वर्तमान में एमडीआर के 73 मरीज हैं। आम तौर से टीबी की सामान्य दवा जिस पर असर नहीं करती है, या एमडीआर मरीज से सीधे संक्रमित होकर टीबी के मरीज बनने वाले एमडीआर श्रेणी के होते हैं।

इनके उपचार के कोर्स में छह माह तक इंजेक्शन कंटेनिंग रेजीमेन शामिल है। मरीज को प्रति दिन यह इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे मरीज के शरीर का वह अंग जहां इंजेक्शन लगाया जाता है। सूज जाता है, मरीज को काफी पीड़ा होती है। कभी-कभी यह देखा जाता है कि तकलीफ बर्दाश्त न कर पाने के कारण मरीज बीच में ही कोर्स बंद कर देता है। इंजेक्शन की जगह जो दवा लाई गई है। वह काफी महंगी है। इससे मरीज को काफी राहत रहेगी।

14 केंद्रों पर मिल रही जांच की सुविधा

जनपद में 14 अस्पतालों में बलगम जांच की सुविधा है। कार्यक्रम के जिला समन्वयक श्याम कुमार ने बताया कि अगर बलगम की जांच पाजिटिव आती है तो आवश्यकतानुसार सीबीनाट व ट्रूनेट जांच भी कराई जाती है। सभी ब्लाक स्तरीय अस्पताल व टीबी क्लीनिक में पंजीकरण व इलाज की सुविधा है। जांच से लेकर इलाज तक सभी निःशुल्क है। अगर किसी को दो सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी आ रही है, शाम के समय बुखार रहता है तथा शरीर का वजन कम हो रहा है तो टीबी की जांच जरूर कराएं। जांच कराकर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित बनाएं। टीबी के इलाज के दौरान सही पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रूपए भी दिए जाते हैं।

क्या होती है एमडीआर टीबी : सामान्य टीबी होने पर मरीज द्वारा उपचार शुरू कराने के बाद बीच में दवा छोड़ देने पर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी हो जाती है। डीपीटीसी शैलेन्द्र यादव ने बताया सीबीनॉट मशीन से स्पुटम (बलगम) जांच करने पर टीबी के वैक्टीरिया की मौजूदगी और सामान्य टीबी में दी जाने वाली चार दवाओं में से एक या उससे अधिक के प्रति वैक्टीरिया के रे‌‌सिस्टेंट होने पर मरीज को एमडीआर टीबी होती है। आम भाषा में इसे बिगड़ी टीबी भी कहते हैं।

टीबी का उपचार बीच में कतई न छोड़ें : डीटीओ
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राय का कहना है कि टीबी के मरीज को एक बार उपचार शुरू करने पर बीच में कतई नहीं छोड़ना चाहिए। अधिकतर मामलों में छह माह तक नियमित दवा खाने पर टीबी ठीक हो जाती है, लेकिन फिर भी जांच के बाद चिकित्सक की राय के बिना दवा न छोड़ें। इस मामले में लापरवाही एमडीआर टीबी को बुलावा देने जैसी है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

About Samar Saleel

Check Also

मस्जिद के अंदर सर्वे.. बाहर जुटने लगी थी भीड़, चंद पलों में चारों तरफ से बरसे पत्थर

संभल जिले में जामा मस्जिद के दोबारा सर्वे के दौरान रविवार को बड़ा बवाल खड़ा ...