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‘भादुइ भरमि भुलाणीआ दूजै लागा हेतु’ शबद कीर्तन के साथ नाका गुरुद्वारा में भादों माह संक्रान्ति पर्व पर सजा दीवान

लखनऊ। भादों माह संक्रान्ति पर्व पर ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी, नाका हिण्डोला लखनऊ में 17 अगस्त को बड़ी श्रद्धा एवं हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया।

शाम का विशेष दीवान 6.15 बजे रहिरास साहिब के पाठ से प्रारम्भ हुआ जो रात्रि 9ः30 बजे तक चला जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुर वाणी में शबद कीर्तन “भादुइ भरमि भुलाणीआ दूजै लागा हेतु।
लख सीगार बणाइिआ कारजि नाही केतु।”

शबद कीर्तन गायन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने भादों माह संक्रान्ति पर्व की महत्ता पर व्याख्यान करते हुए बताया कि भादों के महीने में जिस जीव-स्त्री का प्यार प्रभु पति के बिना किसी और के साथ लगता है वह भटकन के कारण जीवन के सही रास्ते से टूट जाती है। वह चाहे लाखों हार श्रृंगार करे, किसी काम नहीं आता। जिस दिन मनुष्य का शरीर नाश होगा उस वक्त सारे साथ संगी कहेंगे कि ये गुजर गया है।

इसे जल्दी बाहर ले चलो। जमदूत पकड़ के आगे लगा लेते हैं। किसी को भेद नहीं बताते। संबंधियों के साथ प्यार बना रहता है वह पल में साथ छोड़ बैठते हैं। ये शरीर मनुष्य के कर्मों का खेत है। जो कुछ मनुष्य इसमें बीजता है वही फसल काटता है, भाव मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसे ही फल पाता है। हे नानक जिस का रक्षक व हितेशी गुरु बनता है, वह नरक में नहीं जाते, क्योंकि गुरु की कृपा से वे प्रभु की शरण में आ जाते हैं। गुरु उन्हें प्रभु के चरण रूपी जहाज में चढ़ा देता है।

कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समस्त साध संगतों को भादों माह संक्रान्ति पर्व की बधाई दी। तत्पश्चात हरमिन्दर सिंह टीटू महामंत्री की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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