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इजरायल के हमले पर अमेरिका ने झाड़ा पल्ला, ईरान बोला – असली साजिशकर्ता व्हाइट हाउस ही है

DGCA ने पहले ही AIR INDIA को भेजा था चेतावनी पत्र, पूर्व संयुक्त सचिव ने उठाया सवाल – आखिर कहां हुई चूक?

Israel Iran War: ईरान की हवा में इस वक्त बारूद की गंध है. दरअसल, शुक्रवार की सुबह इजरायल के 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स ने ईरान में लगभग 100 जगहों पर तबाही मचाई. इस हमले में ईरान के न्‍यूक्लियर ठिकाने बर्बाद हो गए. यहां तक कि उसके रिवोल्यूशनरी गार्ड्स चीफ और चीफ ऑफ स्‍टाफ्स भी इस हमले में मारे गए. न्‍यूक्लियर सेंटर पर काम कर रहे कई परमाणु वैज्ञानिक भी इजरायल के हमले का शिकार हो गए. इजरायल के इस हमले से ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई आगबबूला हैं और उन्होंने धमकी दी है कि इजरायल को इसका घातक अंजाम भुगतना होगा. इसके साथ ही ईरान ने भी इजरायल की ओर 100 ड्रोन लॉन्च कर दिए हैं.

ईरान ने लगाया अमेरिका पर आरोप

ईरान ने साफ कहा है कि यह हमला संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 2(4) का सीधा उल्लंघन है और उसे अनुच्छेद 51 के अंतर्गत पूरा अधिकार है कि वह इस हमले का जवाब दे. इसके अलावा, ईरान ने यूएन सुरक्षा परिषद से तत्काल और कठोर कदम उठाने की मांग की है.

इसके साथ ही, ईरान ने अमेरिकी सरकार पर भी बड़ा आरोप लगाया है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की आक्रामक कार्रवाई बिना अमेरिका की सहमति और सहयोग के मुमकिन नहीं थी. ऐसे में अमेरिका भी इन “खतरनाक नतीजों” के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.

ईरान की अपील

ईरान ने दुनिया भर के इस्लामी देशों, गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सदस्य देशों और उन सभी राष्ट्रों से अपील की है जो वैश्विक शांति में विश्वास रखते हैं कि वे इस क्रूरता की निंदा करें और मिलकर इसका सामना करें. क्योंकि ये सिर्फ ईरान पर हमला नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व की शांति के लिए खतरे की घंटी है.

अमेरिका ने क्या कहा

व्हाइट हाउस से जारी बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, ‘इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है. हम ईरान के खिलाफ हमलों में किसी भी तरह से शामिल नहीं हैं और हमारी प्राथमिकता सिर्फ क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है. इजरायल ने हमें बताया कि यह कार्रवाई उनकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी. राष्ट्रपति और प्रशासन ने सेना की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं. मैं स्पष्ट कर दूं, ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए.’

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