जम्मू-कश्मीर मसले पर दुनियाभर में अपनी किरकिरी करवाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए अंग्रेजी चैनल खोलने का प्लान बनाया है. इमरान ने कहा कि पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया तीनों मिलकर एक अंग्रेजी चैनल की शुरूआत करेंगे, जिसके जरिए दुनिया में फैले ‘इस्लामोबोफिया’ के खिलाफ लड़ा जाएगा. लेकिन इमरान के इस प्लान पर इजरायल (Israel) ने आईना दिखाया है. इजरायल की मीडिया ने तीनों देशों की कानून, विरोधियों पर ऐक्शन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए तंज कसा है.
यरूशलम पोस्ट ने इमरान खान की पहल पर लिखा, ‘एक ऐसे देश के नेता जिनके यहां ईशानिंदा के लिए सजा-ए-मौत दी जाती है, एक नेता जो गर्व से खुद को यहूदी-विरोधी बताया है और एक नेता जो पड़ोसी देशों को धमकाता है, आज वे एक अंग्रेजी चैनल खोलने की बात कर रहे हैं जो इस्लामोफोभिया के खिलाफ लड़ेंगे’. यरुशलम पोस्ट ने कहा, मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर खुलकर खुद को यहूदी-विरोधी बताते हैं, जबकि तुर्की में एर्दोगन ने अपने विरोधियों को ही समाप्त कर दिया है और सीरिया में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाई है. पाकिस्तान में ईशानिंदा कानून का प्रयोग कर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है.
दरअसल, इमरान खान (Imran Khan) ने कहा था कि अंग्रेजी चैनल के जरिए जिन गलतफहमियों से लोग मुसलमानों के खिलाफ एकजुट हो जाते हैं, उन्हें दुरूस्त किया जाएगा, ईशनिंदा कानून के मुद्दे को उपयुक्त संदर्भ में रखा जाएगा. अपने लोगों और दुनिया को मुस्लिम इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए सीरीज और फिल्में बनाई जाएंगी.’
तीनों देशों के बीच हुई चर्चा पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया की सरकारें मुसलमानों के मुद्दों को प्रमुखता से दुनिया के सामने रखने और पश्चिमी जगत में ‘इस्लामोफोबिया’ के खिलाफ संघर्ष के लिए मिलकर एक अंग्रेजी टेलीविजन चैनल शुरू करेंगी. पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र के मौके पर मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की एक बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई.
‘मुसलमानों के खिलाफ चलाई जाती हैं गलत खबरें’
मलेशिया के पीएम महातिर ने कहा, ‘ हमने महसूस किया कि इस्लाम और मुसलमानों के बारे में कई खबरें गलत हैं एवं इस्लाम जो संदेश देता है, वे उसकी सही तस्वीरें पेश नहीं करती हैं. उदाहरणस्वरूप, वे मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में पेश करते हैं और दुनिया उसे सच मान लेती है जबकि इस्लाम कोई हिंसक धर्म नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘ हम महसूस करते हैं कि इस बात को स्पष्ट करने का अवश्य ही प्रयास होना चाहिए कि इस्लाम क्या है ताकि कोई भ्रम न हो और उस पर एक ऐसा धर्म होने का आरोप नहीं लगाया जाए जो आतंकवाद को बढ़ावा देता हो.’ महातिर ने कहा कि तीनों देशों के सूचना विभागों द्वारा इस प्रयास की अगुवाई की जाएगी. हालांकि उन्होंने चैनल शुरू करने की तारीख नहीं बताई.
वेब सीरीज और फिल्में बनाई जाएंगी
न्यूज इंटरनेशनल ने इमरान खान के हवाले से खबर दी है कि संयुक्त उपक्रम के तहत इस्लामिक इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए वेब सीरीज एवं फिल्में बनाई जाएंगी.