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शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

लखनऊ। डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (Dr. Shakuntala Mishra National Rehabilitation University), लखनऊ में रविवार को प्रातः 10:30 बजे विश्वविद्यालय के पुरुष छात्रावास में स्थित कान्फ्रेंस हॉल में एक एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय कार्यशाला का विषय “दृष्टि बाधित व्यक्तियों के पुनर्वासन में अनुस्थिति एवम चलिष्णुता की भूमिका” था। जिसका प्रमुख उद्देश्य दृष्टिदिव्यांग व्यक्तियों के दैनिक जीवन में सुचारू रूप से आवागमन में विभिन्न यंत्रों एवम तकनीकों के प्रति जागरूकता का प्रसार करना था।

शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय

कार्यशाला में मुख्यवक्ता के रूप में डॉ विकास मिश्रा (मोबिलिटी इंस्ट्रक्टर, सीआरसी लखनऊ) एवं वक्ता के रूप में डॉ नागेश पांडेय (सहायक आचार्य-विशेष शिक्षा संकाय, सीआरसी, लखनऊ) ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यशाला में आए हुए अतिथि गणों को पुष्पगुच्छ भेंट करके की गई। तत्पश्चात कार्यक्रम में मौजूद समस्त गणमान्य अतिथियों ने भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवम पेशे से लोकप्रिय शिक्षक रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की फोटो पर पुष्पार्पित करके उनको नमन किया।

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एक दिवसीय कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रो वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि अपने आसपास के वातावरण को अपनी बची हुई इंद्रियों के द्वारा जानना एवं वातावरण के साथ संपर्क स्थापित करना अनुस्थिति कहलाता है। जबकि चलिष्णुता में एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से स्वतंत्रतापूर्वक सुरक्षित यात्रा करना चलिष्णुता कहलाता है। चलिष्णता तथा अनुस्थिति ज्ञान किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति को आत्मनिर्भर तो बनाता ही है, इसके साथ ही प्रशिक्षित दृष्टिबाधित व्यक्ति सफलतापूर्वक बिना किसी सहारे के एक जगह से दूसरी जगह आ जा सकता है।

शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय

जबकि अनुस्थिति ज्ञान के द्वारा कोई भी दृष्टिबाधित व्यक्ति अपने आसपास के वातावरण को जानने और समझने के लिए तथा वातावरण के बदलने और नवीनीकरण के बारे में इस अनुस्थिति विज्ञान से अपने आप को प्रशिक्षित कर सकता है और वह किसी भी नवीन तथा पुराने वातावरण में अपने आपको समायोजित कर सकता है क्योंकि किसी भी दृष्टिबाधित व्यक्ति के लिए नवीन वातावरण से परिचय होना अनिवार्य हो जाता है, इसलिए उसे अनुस्थिति विज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है। इसलिए कहा जा सकता है कि चलिष्णुता तथा अनुस्थिति ज्ञान दृष्टिबाधित व्यक्ति के लिए पुनर्वास का द्वार है।

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हुए कार्यक्रम में वक्ता के रूप में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए डॉ नागेश पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में चलिष्णुता के महत्वों एवं उसकी दैनिक जीवन में आवश्यक भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ नागेश पाण्डेय ने संबोधित करते हुए कहा कि अनुस्थिती एवम चलिष्णुता से दृष्टिदिव्यांग व्यक्तियों को होने वाली आधारभूत कठिनाइयों इसको ग्राह करने से संभव है। उन्होंने सुगम पुस्तकालय, ब्रेल रीडिंग एप्लीकेशंस एवं अन्य आधुनिक उपकरणों की उपयोगिता से छात्रों को अवगत कराते हुए उन्हे समाज में सामान्य व्यक्तियों से भी समन्वय स्थापित करने हेतु अपने सुवचनों से प्रेरणा दी एवम छात्रों को आधुनिक तकनीक से भी जुड़ने के लिए आह्वान किया।

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डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने छात्रों को स्वावलंबी एवम आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दी एवम ब्रेल लिपि के महत्व को रेखांकित किया। और दृष्टिबाधित छात्रों को दैनिक जीवन में इसके प्रयोग को प्राथमिकता दी। मुख्य वक्ता विकास मिश्रा ने छात्रों के समक्ष अपने वर्षों के शैक्षणिक अनुभव को साझा करते हुए यह बताया कि दृष्टिबाधित छात्रों को दैनिक रहन-सहन में कौशल एवं स्वयं प्रबंधन हेतु जिज्ञासु होना चाहिए और वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं में सकारात्मक बदलाव लाकर अपने व्यक्तित्व को और भी परिष्कृत करते हुए सामान्य व्यक्तियों के कंधे से कंधे को मिलाते हुए राष्ट्र निर्माण में टेक्नोलॉजी और विज्ञान के प्रयोग को वरीयता देना बहुत जरूरी है ताकि विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला यह भारत देश सीमित संसाधनों के रहते हुए भी विकासशील देश से विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर हो सके एवम इस विकास में समाज के प्रत्येक वर्ग फिर चाहे वो सकलांग हो अथवा दिव्यांग सबकी एकसमान एकजुटता हो।

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वक्तव्य के अंत में दिव्यांग छात्रों ने खुले मंच से विषय से सम्बंधित वक्ताओं से प्रश्न किये, जिनका संतोषजनक उत्तर पाकर लाभान्वित हुए। इस कार्यशाला में सौ से अधिक दिव्यांग छात्रों ने सहभागिता की। इस कार्यक्रम में मूकबधिर छात्रों ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की उत्सुकता में वृद्धि की एवम उनको इस अभिभाषण को भली भांति समझाने के लिए सांकेतिक भाषा के इंटरप्रेटर अजीत यादव ने बड़े ही आसान एवं तत्पर रूप से वक्तागणो की बात मूकबधिर छात्रों को समझाई।

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इसके साथ ही इस कार्यक्रम विशेष रूप से प्रोवोस्ट डॉ आशीष कुमार गुप्ता एवं चेतनारायण पटेल, सुमित कुमार बाजपेई, अंकित गुप्ता, नीरज, कृष्णा, भालचंद, अजय, मोनू सिंह, पवन मिश्रा, वीरेन्द्र पाल, परमेश्वर गुप्ता, देवांश, श्याम शर्मा, अंकुर सिंह, सुरेन्द्र वर्मा, जीतेन्द्र मौर्या, आकाश कुमार, रामनाथ, सौरभ सिंह, अरविन्द्र, राजेश आदि दृष्टि दिव्यांग छात्रों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस आयोजन की अध्यक्षता पुरुष छात्रावास के चीफ प्रोवोस्ट प्रो वीरेंद्र सिंह यादव ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन अतिरिक्त चीफ प्रोवोस्ट डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने किया।

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