बसपा सरकार में परिवार कल्याण विभाग के दो सीएमओ डॉ. विनोद कुमार आर्या और डॉ. बीपी सिंह की हत्या के मामले में सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा ने मुख्य शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया है। वहीं, दूसरे शूटर विनोद शर्मा और साजिशकर्ता रामकृष्ण वर्मा को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया है। अदालत आगामी 2 जुलाई को आनंद प्रकाश तिवारी को सजा सुनाएगी।
बता दें कि बसपा सरकार के दौरान अक्तूबर, 2010 में विकास नगर इलाके में रहने वाले सीएमओ, परिवार कल्याण डॉ. विनोद आर्या की अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके छह माह बाद 2 अप्रैल 2011 को गोमतीनगर में परिवार कल्याण के सीएमओ बीपी सिंह की हत्या भी अज्ञात शूटरों द्वारा कर दी गयी। दो सीएमओ की हत्या से सरकार सकते में आ गयी और मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गयी। एसटीएफ ने इस मामले में कई आरोपियों को पकड़ा, लेकिन विपक्ष के दबाव में मामला सीबीआई के हवाले करना पड़ा गया।
सीबीआई ने लंबी जांच के बाद दोनों सीएमओ की हत्या करने वाले आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा और साजिशकर्ता आरके वर्मा को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया था कि डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान ने दोनों सीएमओ की हत्या करायी थी। इस मामले में वाईएस सचान को गिरफ्तार किया गया था, जिनका 22 जून 2011 को लखनऊ जेल के शौचालय में संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद हुआ था।
सीबीआई ने वाईएस सचान द्वारा आत्महत्या करने की क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। हालांकि अदालत इस मामले की पुनर्विवेचना का आदेश दे चुकी है। जांच में सामने आया था कि वाईएस सचान ने डॉ. विनोद आर्या की हत्या कराने के लिए 5 लाख रुपये और डॉ. बीपी सिंह की हत्या कराने के लिए 5 लाख रुपये में सौदा किया था।
सीबीआई ने आनंद प्रकाश तिवारी को गिरफ्तार करने के बाद उसके पास से बरामद दोनों पिस्टल और घटनास्थल से मिले खोखे की फोरेंसिक जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा किया था। लंबे वक्त से सीबीआई कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद अदालत ने मुख्य शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया है। बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने लखनऊ के पूर्व सीएमओ डॉ. एके शुक्ला को भी गिरफ्तार किया था।