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महिला काव्य मंच की online गोष्ठी का आयोजन समारोह सफलतापूर्वक सम्पन्न

लखनऊ। महिला काव्य मंच (रजि) लखनऊ की काव्य गोष्ठी का आयोजन, रविवार  27 फरवरी,2022 को गूगल मीट के माध्यम से किया गया। डॉ. रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गोष्ठी बहुत ही सफलतापूर्वक संपन्न हुई। काव्यगोष्ठी का आरंभ दिव्यांशी की ओर से प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। गोष्ठी की मुख्य अतिथि रहीं डॉ. राजेश कुमारी, अध्यक्षा महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य और विशिष्ट अतिथि रहीं डॉ. उषा चौधरी महासचिव महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. राजेश कुमारी ने महिला काव्य मंच की कवयित्रियों को लगातार सफल मासिक कार्यक्रम संपन्न करने हेतु बधाई दी। उन्होंने कहा कि अनेक बाधाओं के बाद भी महिला काव्य मंच लखनऊ का कार्यक्रम निर्बाध रुप से संपन्न होता रहा है। यहां तक कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी महिला काव्य मंच लखनऊ की कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता का प्रसार किया है और उत्साह का संचार किया है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सामाजिक वातावरण के निर्माण की दिशा में उनका यह प्रयास उल्लेखनीय है। इसके लिए वे बधाई की पात्र हैं।

विशिष्ट अतिथि डॉ. उषा चौधरी ने अपने प्रभावशाली उद्बोधन से कवयित्रियों में उत्साह का संचार किया। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से कवयित्रियों ने अपनी कविता की शक्ति से अनेक छुए- अनछुए विषयों पर अपनी बेबाक टिप्पणी की है। साथ ही, सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उनका यह प्रयास महत्वपूर्ण है, जिसके लिए वे बधाई की पात्र हैं। डॉ. उषा चौधरी ने अपनी कविता ‘नादान दिल ये ख्वाहिश हजार’ सुना कर भावों में सराबोर कर दिया। वहीं, डॉ. रेखा गुप्ता ने ‘भोले शंकर को वर लिया’ और सरिता कटियार सदाबहार ने ‘औरत की इज्जत करो’ सुना कर सब्को भावविभोर कर दिया।

इन कवियित्रयों के साथ, डॉक्टर कालिंदी पांडे ने ‘मन का भ्रम मिटाने वाले’, नीरजा शुक्ला नीरू ने ‘मेहरबां होगा वक्त’, डॉ. सुधा मिश्रा ने ‘कहां कितना सहेजा न पूछो’, डॉक्टर कीर्ति श्रीवास्तव ने ‘लम्हे फिसलते गए’, अंजू ने ‘ए जिंदगी हार गई हूं’, अर्चना पाल ने ‘प्रथम की संकल्पना’, डॉ. शोभा बाजपेई ने ‘सगरे नेता रहे भरमाय’, जैसी बेहतरीन रचनाएँ सुना कर ऑनलाइन गोष्ठी को सर्वोच्च स्तर पर पहुँचा दिया। महिला काव्य मंच लखनऊ की काव्य गोष्ठी बहुत ही सफलता पूर्वक एवं उत्साह पूर्ण ढंग से संपन्न हुई। डॉ. रीना श्रीवास्तव का कुशल, निर्बाध तथा आत्मीय संचालन कविताओं की मधुरता को और अधिक मधुर कर गया। अंत में डॉ. रीना श्रीवास्तव ने कार्यक्रम को अंतिम पड़ाव पर पहुंचाते हुए सभी कवयित्रियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया तथा: सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया’ के संदेश के साथ कार्यक्रम को विराम दिया। कवियित्रियों ने प्रस्तुत की गई सभी कविताएं एक से बढ़कर एक रहीं एवं तथा खूब वाहवाही बटोरी, प्रासंगिक विषयों की प्रमुखता रही।

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