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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…चुनाव वही जीतेगा, जो नई बिरादरी साधेगा

 नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

ककुवा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- कहय तौ पांच राज्यन म विधानसभा चुनाव होय रहे। मुला, सबसे जादा जोरु उत्तर प्रदेश म हय। पूरे देस क ध्यान यूपी पय हय। काहे ते यूपी क्यार परिणाम दिल्ली दरबार पय असर डरत हय। इ चुनाव म यूपी क जो जीती। वहय पारटी आगे चलि कय दिल्ली क सिंहासन पायी। यही बदे सगरे राजनैतिक दल यूपी म जोर आजमाइश कय रहे। पहली दफा योगी आदित्यनाथ अउ अखिलेश यादव विधानसभा केर चुनाव लड़य जाय रहे। मायावती अउ प्रियंका गाँधी चुनाव लड़य ते पीछे हटि रहीं। जौ यहू दुनव जनी यूपी म लड़ी जाती तौ मजा आय जात। हमका तौ टीवी प नेतन कय तू तू मैं मैं द्याखय म बड़ा आनन्द आवत हय भइय्या।

आज प्रपंच चबूतरे पर सन्नाटा पसरा था। चतुरी चाचा कम्बल ओढ़े अपने मड़हे में बैठे थे। पुरई अलाव की आग में शकरकंद व आलू पका रहे थे। अलाव के चारों तरफ पड़ी कुर्सियों पर ककुवा, मुंशीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा बैठे थे। मौसम आज भी बहुत खराब था। गाँव के बच्चे अपने घरों में दुबके थे। रुक-रुक कर बारिश जारी थी। मेरे मड़हे में पहुंचते ही ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत कर दी। ककुवा का कहना था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पँजाब, मणिपुर व गोवा आदि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। परन्तु, राजनैतिक दलों के लिए सबसे अहम उत्तर प्रदेश का चुनाव है। सब जानते हैं कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है। सभी दलों पर यूपी जीतने का दबाव है। इसी वजह से एक जमाने बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार विधानसभा चुनाव लड़ने पर मजबूर हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस व बसपा इस दौड़ से बाहर है।

चतुरी चाचा ने ककुवा की खिंचाई करते हुए कहा- ककुवा आज काल्हि तुमरेव राजनीति सवार हय। हम तौ सोचे रहन कि आजु प्रपंच केरी शुरुआत खेती-किसानी ते करिहौ। मुला, तुमहूं प खूब राजनीति चढ़ी हय। सब जने कोहरा, जाड़ा, पाला अउ बरसात ते बेफिकर हौ। पूरा हफ्ता बीति गवा। नीके धूप नाय निकरी। ठंड के मारे बुजुर्गन अउ पशुअन क जीना मुहाल होय गवा हय। बरसात होय ते खेती क थोरा-बहुत लाभ भवा हय। मुला, लगातार कोहरा छाये रहे ते फूल वाली फसलन का नुकसान पहुंचा हय। बीच म दुई दिन पाला गिरय ते मटर, अरहर अउ आलू क हालत खराब होय गई हय। कुल मिलायक खेती म नुकसानय द्याखय परत हय। अब मौसम खुलि जाय क चाही। मौसम जौ यही तिना आगेव खराब रहा, तौ रबी फसल केरा उत्पादन घटि जाई।

इसी बीच चंदू बिटिया हरी धनिया मिर्चा की चटपटी चटनी व तुलसी-अदरक की कड़क चाय लेकर आ गई। इधर, पुरई ने अलाव से पके आलू व शकरकंदें निकाल दीं। हम सबने चटनी के साथ गर्मागर्म आलू व शकरकंदों का स्वाद लिया। फिर कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा। बड़के दद्दा ने चुनाव में मूलभूत मुद्दों की बात न होने पर चिंता प्रकट करते हुए कहा- बढ़ती जनसंख्या, महंगाई, बेरोजगारी, सीमा पर घुसते चीन-पाकिस्तान, घटती खेती-किसानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा इत्यादि मुद्दों पर कोई नेता बात नहीं कर रहा है। देश के विकास एवं कल्याण से जुड़ी कोई बात जनता सुनना नहीं चाह रही है। सारे राजनैतिक दल यही बता रहे हैं कि अगर उनकी सरकार बनवा दी, तो वह फला-फला चीजें मुफ्त देंगे। अधिकतर मतदाता भी अपना क्षणिक लाभ देख रहे हैं। सब राष्ट्रहित के बजाय स्वहित की सोच रहे हैं। मुफ्तखोरी की गन्दी आदत भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करता जा रहा है। जाति और धर्म के खेमों में बंटते मतदाता किसी भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

मुंशीजी ने कहा- चुनाव वही जीतेगा, जो नई बिरादरी साधेगा। भारत में मुफ्त राशन, गैस, आवास, शौचालय, नकद नारायण व अन्य सुविधाएं लेने वाले करोड़ों लोगों की अपनी एक नई जाति/धर्म है। यूपी, पँजाब, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी मतदाताओं की यह नई जाति अपना प्रभाव जरूर छोड़ेगी। इस नई जाति/धर्म के वोटर देश की तमाम जातियों और धर्मों पर भारी पड़ रहे हैं। पांच राज्यों में इस वक्त विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। हमेशा की तरह इस बार भी आम जन के मुद्दे गायब हैं। राजनैतिक दल मतदाताओं को उनकी जाति/धर्म बता रहे हैं। सबको समझा रहे हैं कि कौन किसके लिए खतरा है। लेकिन, अब इस राजनीतिक हथकण्डे से ज्यादा बात बनती नहीं दिख रही है। शायद जाति/धर्म वाला हथियार अब उतना धारदार नहीं रह गया है।

कासिम चचा ने मुंशीजी की बात में अपनी सहमति जताते हुए कहा- दरअसल, देश की अनेकानेक जातियों एवं धर्मों से ही एक नया मुफ्तखोर वर्ग तैयार हो गया है। यह बहुत बड़ा वर्ग है। इस नई जाति/धर्म के करोड़ों लोग अब ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक के चुनावों को प्रभावित करते हैं। ये लोग हर चुनाव में उसे ही चुनते हैं, जो इन्हें सबकुछ मुफ्त में मुहैय्या करवाता है। ये नए किस्म के मतदाता कई बार बहुत कुछ मुफ्त देने का वादा करने वाले को भी जिता देते हैं। नेताओं ने भी जनता की इस नब्ज को पकड़ लिया है। सत्ताधारी भाजपा चुनाव के पहले ही राशन, गैस, आवास, शौचालय, टेबलेट, टीका व नकदी सबकुछ बांट चुकी है। अब कांग्रेस, आप, बसपा व सपा इत्यादि दलों ने वादों की झड़ी लगा दी है। सबकुछ फ्री में देने की बात कह रहे हैं। कोई यह नहीं सोच रहा है कि अगर सब मुफ्त ही हो जाएगा, तो आखिर देश कैसे चलेगा?

मैंने प्रपंचियों को कोरोना का अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 34 करोड़ 71 लाख लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें 56 लाख चार हजार लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 90 लाख लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। इनमें चार लाख 89 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले चौबीस घण्टे में तीन लाख 37 हजार से ज्यादा नए कोरोना मरीज मिले हैं। वहीं, एक दिन में 488 कोरोना रोगियों की मौत हो गई। महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, गुजरात व दिल्ली सहित 10 राज्यों में स्थिति खराब है।

देश में अबतक कोरोना टीके की 161 करोड़ से अधिक डोज लग चुकी है। भारत के 68 करोड़ लोगों को कोरोना टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है। बच्चों (15 से 18 वर्ष) को युद्ध स्तर पर वैक्सीन लगाई जा रही है। फ्रंट लाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज दी जा रही है। मार्च महीने में 12 से 15 वर्ष आयु वाले बच्चों को भी वैक्सीन लगने लगेगी। विश्व में कोरोना का ओमिक्रोन वैरियंट आफत मचाए है। भारत में भी ओमिक्रोन वैरियंट के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। देश में ओमिक्रोन के 10 हजार से अधिक रोगी मिल चुके हैं। बहरहाल, मास्क और दो गज की दूरी ही कोरोना से बचा सकती है। अंत में चतुरी चाचा ने सभी को सुभाष चन्द्र बोस जयंती की शुभकामनाएं और गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही को लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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