इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य इस लघु उद्योग में उत्तरोत्तर वृद्धि एवं विकास करना है, ताकि स्थानीय कारीगरों की कला की सराहना करते हुए उनको रोजगार के अवसर सुलभ कराए जा सकें।
- Published by– @MrAnshulGaurav
- Friday, March 25, 2022
लखनऊ। पारम्परिक शिल्प एवं लघु उद्यमों के संरक्षण के लिए और उसमें अधिक से अधिक रोजगार सृजन के लिए भारतीय रेलवे की ओर से ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ (OSOP) की योजना को कार्यान्वित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत, 19 रेलवे स्टेशनों पर उत्पादों का चयन किया गया है।
इसी क्रम में वाराणसी की प्रसिद्ध काष्ठ कला की अनुपम कृति काष्ठ निर्मित खिलौनों (वुडेन ट्वायज़) को वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए चयनित किया गया है। 12 मार्च को रेलवे बोर्ड में आयोजित वर्कशाप में OSOP योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुक्रवार 25 मार्च से लागू किया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत, वाराणसी जंक्शन स्टेशन पर पूछताछ कार्यालय के बगल में अंतर्राष्ट्रीय टूरिस्ट ब्यूरो पर शुक्रवार से 15 दिनों के लिए वाराणसी के काष्ठ खिलौनों (वुडेन ट्वायज) को वाराणसी जं० स्टेशन पर प्रदर्शित और विक्रय के लि स्टाल/कियॉस्क लगाया गया है।
इस स्टाल के शुभारम्भ के सुअवसर पर अपर सदस्य (टूरिज्म एंड कैटरिंग), रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली, सीमा कुमार एवं प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक, उत्तर रेलवे, नई दिल्ली, रविन्द्र गोयल वाराणसी जंक्शन पर उपस्थित रहै। इस स्टाल के प्रारंभ होते ही यात्रियों एवं पर्यटकों द्वारा अत्यंत उत्साह के साथ इस स्टाल के प्रति रूचि दिखाते हुए भारी मात्रा में उपस्थित होकर खरीददारी की गई |
वाराणसी में काष्ठ उद्योग के तहत खिलौनों के साथ ही काष्ठ निर्मित अन्य जनोपयोगी वस्तुओं का निर्माण भी किया जाता है, जिनको आमजन अत्यंत रुचिपूर्वक प्रयोग में लाते हैं। वाराणसी अपने काष्ठ उद्योग के द्वारा अपनी पारंपरिक संस्कृति और महत्ता को अत्यंत सहजतापूर्वक देश विदेश में प्रचार प्रसार करता रहा है।
साथ ही, भारी संख्या में प्रतिवर्ष आवागमन करने वाले भारतीय/ विदेशी यात्रियों एवं पर्यटकों के मध्य वाराणसी काष्ठ से निर्मित खिलौने एवं वस्तुए अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं। इनकी बड़ी मात्रा में मांग रहती है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य इस लघु उद्योग में उत्तरोत्तर वृद्धि एवं विकास करना है, ताकि स्थानीय कारीगरों की कला की सराहना करते हुए उनको रोजगार के अवसर सुलभ कराए जा सकें।
रिपोर्ट-दयाशंकर चौधरी