रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समरसता के अनेक केंद्रों को उनकी गरिमा के अनुकूल प्रतिष्ठा प्रदान की है। ये सभी कार्य कई दशक पहले हो जाने चाहिए थे। मोदी भी इस ओर ध्यान न देते तो कोई उन्हें दोष देने वाला नहीं था, क्योंकि किसी भी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए अपने इस दायित्व का निर्वाह नहीं किया था।
नरेंद्र मोदी ने डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच स्थानों को भव्य स्मारक का रूप प्रदान किया। इसमे लंदन स्थित आवास, उनके जनस्थान, दीक्षा स्थल, इंदुमिल मुम्बई और नई दिल्ली का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान शामिल हैं। यह अपने ढंग का अद्भुत संस्थान है, जिसमें एक ही छत के नीचे डॉ आंबेडकर के जीवन को आधुनिक तकनीक के माध्यम से देखा-समझा जा सकता है। इसकी कल्पना अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और इसे पूरा नरेंद्र मोदी ने किया।
मोदी की पहल पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का लंदन स्थित तीन मंजिला बंगला खरीदा गया, जिसमें वह उन्नीस सौ बीस के दशक में एक छात्र के तौर पर रहे थे। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने इस बंगले की कीमत दी थी। इस मकान को एक अंतरराष्ट्रीय स्मारक में तब्दील कर दिया गया है। इसे शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया। यह कार्य मोदी ने पिछली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू कर दिया था। दो हजार पन्द्रह में उन्होने महाराष्ट्र में अम्बेडकर स्मारक की आधारशिला रखी थी। इसको भव्य रूप प्रदान किया गया।
दो हजार सत्रह में मोदी ने नयी दिल्ली में बी आर अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र का उद्घाटन किया था। डीएआईसी में डॉ. अम्बेडकर सेंटर फार सोशियोनइकोनामिक ट्रासफोर्मेशन केंद्र भी है यह सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के क्षेत्र में अनुसंधान का एक बेहतरीन केंद्र है। विशेषज्ञ थिंक टैंक के रूप में भी काम करेगा। जिसमे समावेशी विकास और सामाजिक आर्थिक मामलों पर ध्यान दिया जा रहा है। मोदी के प्रयासों से इसे रिकार्ड समय में तैयार किया गया था।