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पेटीएम ने जियो फाइनेंशियल के साथ किसी भी डील से किया इनकार, रिपोर्ट्स को खारिज कर यह कहा

जियो फाइनेंशियल की ओर से पेटीएम वॉलेट के संभावित अधिग्रहण की अटकलों के बीच, पेटीएम ने इन दावों का खंडन किया है। कंपनी ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा है कि इस तरह के अधिग्रहण की बातें करने वाली खबरें काल्पनिक, आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। पेटीएम ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है। पेटीएम की ओर से यह स्पष्टीकरण उसकी सहयोगी कंपनी, पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के लिए भी जारी किया गया है। विज्ञप्ति के अनुसार, पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने मुकेश अंबानी के साथ अनुमानित अधिग्रहण से संबंधित कोई भी बातचीत नहीं हुई है।


जेएफएसएल ने पहले ही किया साफ- नहीं हो रही डील
पेटीएम ने कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि उपरोक्त समाचार काल्पनिक, आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत है। हम इस संबंध में किसी से बातचीत नहीं कर रहे हैं। हमारी सहयोगी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड ने भी हमें सूचित कर दिया है कि वे भी इस संबंध में किसी तरह की बातचीत नहीं कर रहे हैं।” यह स्पष्टीकरण अंबानी की जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (जेएफएसएल) की ओर से यह साफ करने के एक दिन बाद आया है कि वह पेटीएम वॉलेट के अधिग्रहण के लिए संकटग्रस्त वन97 कम्युनिकेशंस के साथ कोई बातचीत नहीं कर रही है।

आरबीआई की सख्ती के बाद पेटीएम के शेयरों में आ चुकी है 43% तक की गिरावट
जेएफएसएल ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि यह खबर काल्पनिक है और इस संबंध में हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है।” स्टॉक एक्सचेंज बीएसई की ओर से कंपनी को उन रिपोर्टों पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था जिसमें कहा गया है कि जेएफएसएल पेटीएम के वॉलेट व्यवसाय के अधिग्रहण के लिए वन 97 के साथ बातचीत कर रही है। इस रिपोर्ट के बाद एनबीएफसी का शेयर बीएसई पर 14 फीसदी चढ़कर 289 रुपये पर बंद हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को पेटीएम पेमेंट्स बैंक को मार्च से अपने खातों या लोकप्रिय वॉलेट में ताजा जमा स्वीकार करना बंद करने के लिए कहा था, जिसके बाद से पेटीएम को लगभग 2.5 अरब डॉलर या उसके बाजार मूल्य का लगभग 43 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

पिछले साल फरवरी में हुई एमपीसी की बैठक में आखिरी बार किया गया था रेपो रेट में बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी यानी मौद्रिक नीति समिति ने लगभग एक साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो रेट को 6.25% से बढ़ाकर 6.5% किया गया था। तब से यह 6.5% पर स्थिर बना हुआ है। इस दौरान खुदरा महंगाई वर्ष 2023 के जुलाई महीने में 7.44% के उच्चस्तर पर थी और उसके बाद इसमें लगातार गिरावट आई। हालांकि, यह अब भी आरबीआई के टॉलरेंस बैंठ के ऊपरी छोड़ के करीब बना हुआ है। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2023 में 5.69% रही। सरकार ने देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई को खुदरा महंगाई दर 2% से 6% के दायरे में रखने की जिम्मेदारी सौंपनी है।

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