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पूर्व विधायक स्व रामाधार शास्त्री की 21वीं पुण्यतिथि पर आयोजित हुई काव्य संध्या

बिधूना/औरैया। बिधूना क्षेत्र के पूर्व विधायक स्व. श्री रामाधार शास्त्री की 21वीं पुण्यतिथि पर उनके छोटे पुत्र अनिल त्रिपाठी के नवीन बस्ती स्थित आवास पर सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन नवोदित साहित्य परिषद बिधूना के तत्वावधान में किया गया। जिसकी अध्यक्षता नगर वरिष्ठ समाज सेवी, राजनैतिक चिंतक, विभूशंकर पाण्डेय ने की तथा सफल संचालन नवोदित साहित्य परिषद के संयोजक डॉ श्याम नरेश दुबे ने किया।

गोष्ठी में वरिष्ठ कवि रणजीत सिंह सोलंकी साक्षी ने स्व. शास्त्री जी को याद करते हुए कहा- “कहाँ अचानक ही दुनिया से खो जाते हैं लोग।
पता नहीं किस नींद में अक्सर सो जाते हैं लोग।।”

वरिष्ठ कवि राम किशोर शुक्ला एडवोकेट ने अपनी भावनाएं इस तरह व्यक्त कीं- “तुम सेवक बन पर पीर हरौ, मैं कीर्ति सुहानी क्यों न लिखूं।” संचालक कवि डॉ. श्याम नरेश दुबे ने सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार किया अपनी रचना- नैतिकता की परिभाषाएं, परिवेशों की अब दासी। आहों का सम्मान नहीं तो, कैसी थानेदारी है।।


कवि आर.के. शर्मा ने किसानों के प्रति चिंता व्यक्त की- क्यों अन्नदाता देश के सडकों पर आ गए, लगता है नेता देश के सब खेत खा गए।

हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर हरि कृष्ण बाजपेयी ने गिरते हुए सामाजिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त की- “हम भूल गए हैं मंदिर में आना जाना, हम भूल गए हैं कागज की नाव तैराना।”

युवा कवि शुभम त्रिपाठी ने श्रंगार रस का की रचना पढी- मेरे जीवन में एक बार आई थी, एक सुंदर पतंग। मैंने उसको पाया मेरा सब हुआ, प्रफुल्लित अंग अंग।।

युवा कवि अभय मिश्रा ने पिता को समर्पित अपनी कविता में कहा- “सांसारिक संबंधों की जान है पिता, जीवन के अनुभवों की खान है पिता।'”

इस तरह कवियों ने अपनी कविताओं से लोगों को भाव विभोर किया। अंत में आयोजक स्व. श्री रामाधार शास्त्री के छोटे पुत्र अनिल त्रिपाठी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर भाजपा के जिला मंत्री रिषी पाण्डेय, डॉ. प्रवीन सक्सेना, सुरेन्द्र पाण्डेय, अजय दुबे, डी.पी. सिंह, नरेंद्र यादव, श्याम त्रिपाठी, अभिषेक त्रिपाठी, आलोक त्रिपाठी आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर

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